लूट का अड्डा बना पार्क अस्पताल, 48 घंटे में कर दी एक ही मरीज की 100 ईसीजी

बहरोड़ में दूसरे दिन भी नहीं सुधरे हालात, बीते दिन भी दर्ज हुआ था मामला

Mar 8, 2021 - 01:01
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बहरोड़ (अलवर,राजस्थान/ योगेश शर्मा) कस्बे में स्थित पार्क कैलाश अस्पताल इन दिनों लूट का अड्डा बना हुआ है। एक बार मरीज भर्ती होते ही एडवांस पैसा जमा करा लिया जाता है और फिर शुरू हो जाता है लूट का सिलसिला। ये मामला रविवार को फिर एक बार सामने आया जब पार्क कैलाश अस्पताल में भर्ती हुए एक मरीज के परीजन बताया कि उसका पेशेन्ट दो दिन पहले अस्पताल में भर्ती हुआ था। 48 घण्टे में अस्पताल प्रबंधन ने 100 ईसीजी कर दी और 44 हजार रूपये का बिल थमा दिया। बिल को देखकर परिजनों के होस उड़ गये। बाद में बिल करेक्शन करवाया तो बिल थमा दिया 26 हजार का, फिर एक बार बिल करेक्शन करवाया तो 22 हजार का बिल थमा दिया। इसके अलावा फर्जी कम्पनियों की दवाईयां यूज में ली गई और ब्रा्रंडेड महंगी कम्पनीयों की दवाईयों का बिल बनाकर दिया। मयंक भारद्धाज का कहना है कि यहाॅ कैश वाले मरीजों पर कम और टीपीए के मरीजों पर अधिक ध्यान दिया जाता है।  
वहीं एक दूसरे मरीज राकेश शर्मा ने अपनी आप-बीती बताते हुए कहा कि मेरा तो पैसा लग गया लेकिन जनता सचेत हो जाये, यहाॅ लूटने का काम हो रहा है। पार्क कैलाश अस्पताल में भर्ती एक मरीज राकेश कुमार शर्मा ने पत्रकारों के सामने बताया कि उसके पैर में दर्द रहता है। जिसके लिए वह 4 तारीख को पार्क कैलास अस्पताल में भर्ती हुआ था। मुझे सुबह शाम दो-तीन कैप्सूल और एक इन्जेक्शन देते रहे। 5 तारीख को सुबह एक बार डाॅक्टर आये थे। मेरी एमआरआई और एक्सरे कराये। मेरा टीपीए का बिल था। टीपीए ने मेरा 20 हजार रूपये का बिल पास किया था। इन्होने मेरा 23 हजार का बिल बना दिया जिसके लिए मेरे से 5 हजार रूपये एडवांस में जमा कराये थे। मेरे बिल में बहुत सारी एक्स्ट्रा चीजें जोड़ रखी है। जिनका मेरे उपचार में उपयोग ही नहीं हुआ। जिसमें मुख्य रूप से डा. फीस है। बिल के अनुसार डा. रोजाना दिन में दो बार जाॅच के लिए आया है। जबकि मेरे भर्ती होने के बाद सिर्फ एक दिन 5 तारीख को आया था। दूसरा बहुत सी दवाईयों बिल में जोड़ रखी हैं। जो मुझे दी ही नहीं गई। ग्लबस वगैरह भी जोड़ रखें है जो घाव को साफ करने के काम आता है जबकि मेरे कहीं भी घाव वगैरहा नहीं है। मुझे पहले मालूम होता तो मैं पैसे जमा ही नहीं कराता। मै तो यहाॅ लुट गया लेकिन और कोई यहाॅ नहीं आये ताकि लुटने से बच जाये।

दूसरे दिन भी नहीं सुधरे अस्पताल के हालात 

आपको बता दे कि शनिवार को भी अस्पताल में भर्ती एक मरीज केे मर जाने पर केवल दस हजार रूपये के लिए शव को खुले स्थान पर धूप में पटक दिया गया था और अस्पताल प्रबन्धन ने पैसे नहीं जमा कराने तक शव को नहीं देने की बात कही थी। बात बढ़ने और हंगामा होने पर परीजनों को सारे पैसे वापिस लौटाकर मामला शान्त किया गया था। वहीं एक मरीज के परीजन जिनके एडवांस पैसे जमा थे मरीज को छुट्टी दिलवाने के लिए रो रहे थे। लेकिन अस्पताल प्रबन्धन छुट्टी नहीं दे रहा था वहीं एक लाख रूपये की और मांग कर रहा था। पुलिस प्रशासन और पत्रकारों के पहूॅचने पर मरीज को छुट््टी दे दी गई।
 

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