बारिश के अभाव में सूखे पडे है जल स्त्रोत, बारिश आए तो पानी आए

Jul 6, 2020 - 00:52
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बारिश के अभाव में सूखे पडे है जल स्त्रोत, बारिश आए तो पानी आए

बयाना,भरतपुर 
बयाना 05 जुलाई। कस्बा सहित यहां के ग्रामीण क्षेत्रों व धार्मिक स्थलों पर स्थित पारंपरिक जलस्त्रोत भी अब बारिश के अभाव में सूखे पडे है। बयाना के मदान बंध व कमल हौज बंध एवं ईदगाह पोखर सहित यहां के श्रीकैलादेवी झीलका बाडा में स्थित  धार्मिक आस्था के केन्द्र रवि सरोवर कुंड व कालीसिंध कुंड एवं गांव गांव में पुराने समय से बनी पारंपरिक पोखर व तालाब तथा कुए, बाबडी भी बारिश के अभाव में अभी तक सूखे पडे है। बुजुर्गों की माने तो अषाढ सावन के महीने में होने वाली जोरदार बारिश के पानी से इलाके के सभी कुंड तालाब पोखर बांध, बावडी आदि पानी से भरकर लबालब हो जाते थे। कुए व ट्यूबबैलों का जलस्तर भी बढकर उपर आ जाता था। लेकिन गत वर्ष की भांति इस बार भी अभी तक बरसात की भारी कमी के चलते यह सभी पारम्परिक जलस्त्रोत सूखे पडे है। धार्मिक मान्यताओ व आस्था के अनुसार अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए अगर श्रीकैलादेवी झीलकाबाडा के प्राचीन मंदिर परिसर में स्थित रवि सरोवर कुंड व कालिसंिध कुंड में स्नान कर वहां के मंदिर में स्थित श्रीकैलादेवी के दर्शन व पूजा अर्चना करने पर मनवांछित फल की प्राप्ती होती है। किन्तु बारिश के अभाव के चलते यह दोनों कुंड अभी तक सूखे पडे है और देखरेख के अभाव में कचरापात्र बने है। इन प्राचीन कुंडों की देखरेख का जिम्मा देवस्थान विभाग का बताया। इसी प्रकार बुजुर्गों ने बताया कि बयाना कस्बा सहित गांवों में जगह जगह स्थित पारंपरिक पोखर, तालाब, कुंडों व बावडियों में बरसात का पानी आने से जमीन का व कुओं ,ट्यूबबैल व हैंडपंपों का भूमिगत जलस्तर भी बढता है। खेती की जमीन की उर्वरा क्षमता में भी काफी वृद्धि होती है। किन्तु बारिश के भारी अभाव और अधिकांश पारंपरिक तालाब व पोखर एवं बांधों के अतिक्रमणों की भंेट चढ जाने और प्राचीन कुओं को बिसरा दिए जाने से अब इनका अस्तित्व भी संकट में पड गया है। बयाना कस्बे में तो कई प्राचीन कूआंे, बगीचीयों, प्राचीन पोखर व बाबडीयो आदि स्थानों पर तो भूमाफियाओं की ओर से खुले आम अतिक्रमण कर बेचान करते हुए करोडों के वारे न्यारे किए जा रहे है। फिर भी संबंधित विभाग सांठगांठ के चलते आंखे मूंदे अनजान बने बैठे है। कस्बे की भांति ग्रामीण क्षेत्रों में भी प्राचीन पोखर तालाब, बावडी, कुओं व जलभराव एवं बहाव वाले स्थानों पर भूमाफियाओं की ओर से खुलेआम आवासीय व व्यवसायिक परिसर खडे कर कानून व प्रशासन की आंखों मेें धूल झोंकते हुए करोडों के वारे न्यारे किए जा रहे है। जिसकी ओर कई बार विभिन्न संगठनों व नागरिकों की ओर से संबंधित विभागों को शिकायत कर ध्यान आकर्षिक कराया गया।  किन्तु भूमाफियाओं व तथाकथित सफेदपोशों के सामने वह भी असहाय नजर आते है। 

  • बयाना संवाददाता राजीव झालानी की रिपोर्ट 

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