प्रदेश में ऑयल एवं नेचुरल गैस एक्सप्लोरेशन और दोहन को दिया जाएगा बढ़ावा, खोज व दोहन की नई तकनीक से तलाशी जाएगी नई संभावनाएं
जयपुर, राजस्थान
माइंस एवं पेट्रोलियम सचिव आनन्दी ने कहा है कि प्रदेश में ऑयल एवं गैस भण्डार की संभावनाओं का नए सिरे से अध्ययन करवाया जाएगा ताकि डिसकवर्ड स्मॉल फील्ड्स (डीएसएफ) के तहत प्रदेश में उपलब्ध ऑयल एवं गैस के एक्सप्लोरेशन और दोहन क्षेत्र को और अधिक विस्तारित किया जा सके। उन्होंने कहा कि देश दुनिया में पेट्रोलियम और गैस क्षेत्र के एक्सप्लोरेशन और दोहन की नवीनतम तकनीक के उपयोग के लिए प्रदेश में इस क्षेत्र में कार्य कर रहे प्लेयर्स को प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि प्रदेश में ऑयल और गैस के और अधिक क्षेत्रों की पहचान और दोहन हो सके।
माइंस एवं पेट्रोलियम सचिव आनन्दी मंगलवार को खनिज भवन में पेट्रोलियम विभाग की समीक्षा बैठक ले रही थी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के एनडीआर से डाटा प्राप्त कर उपलब्ध ऑयल व गैस भण्डारों का दोहन के नए क्षेत्र चिन्हित किये जाएंगे, इससे पेट्रोलियम एवं गैस सेक्टर में गति, निवेश, रेवेन्यू और रोजगार के और अधिक अवसर पैदा हो सकेंगे। उन्होंने जैसलमेर में लग रहे सीमेंट प्लांटों में वैकल्पिक ऊर्जा के रुप में प्राकृतिक गैस की मांग और उसकी आपूर्ति का रोडमैप भी तैयार करने के निर्देश दिए ताकि सीमेंट सेक्टर को सस्ती ग्रीन एनर्जी उपलब्ध होने के साथ ही प्रदेश में प्राकृतिक गैस का उत्पादन व उसका उपयोग सुनिश्चित हो सके।
माइंस एवं पेट्रोलियम सचिव आनन्दी ने बताया कि पेट्रोलियम क्षेत्र में प्रदेश में वर्तमान में 13 माइनिंग लीज (पीएमएल) और 14 पेट्रोलियम एक्सप्लोरेशन लीज (पीईएल) जारी है। देश में कुल उत्पादित क्रूड ऑयल का 14.95 प्रतिशत क्रूड ऑयल का प्रदेश में उत्पादन हो रहा है। इसी तरह से राज्य में प्रतिदिन औसतन 3.3 से 3.4 मिलियन मेट्रिक स्टेण्डर्ड क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन हो रहा है। निदेशक माइंस एवं पेट्रोलियम भगवती प्रसाद कलाल ने बताया कि राज्य में पेट्रोलियम सेक्टर से गत अप्रेल से अगस्त माह तक 1271 करोड़ 70 लाख रु. का राजस्व प्राप्त हुआ है। अतिरिक्त निदेशक पेट्रोलियम अजय शर्मा ने बताया कि क्रूड ऑयल एवं नेचुरल गैस के लेंड प्रोडक्शन में राजस्थान दूसरे नंबर पर है। इस अवसर पर एसजी सुनील वर्मा, उपनिदेशक रोहित मल्लाह और मोहन कुमावत उपस्थित रहे।