जयपुर,राजस्थान
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में वृद्धजनों को सुगमतापूर्वक विशेष स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्थापित किए गए रामाश्रय वार्ड (जेरियाट्रिक वार्ड एवं जेरियाट्रिक क्लीनिक) जनसेवा का एक सार्थक माध्यम बनकर उभरे हैं। यहां बुजुर्गों को सम्मान के साथ बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवायी जा रही हैं। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के मार्गदर्शन में गत 14 मार्च से प्रारम्भ हुई इस संवेदनशील पहल से अब तक करीब 6 लाख बुजुर्ग लाभान्वित हो चुके हैं।
चिकित्सा मंत्री ने बताया कि हमारे बुजुर्गों को उपचार के लिए चक्कर नहीं काटना पड़े, कतारों में खड़ा नहीं होना पड़े और एक ही स्थान पर जांच एवं उपचार सेवाओं का लाभ मिल सके, इस मानवीय सोच के साथ रामाश्रय वार्डों की स्थापना की गई है। अब तक 5 लाख 14 हजार से अधिक बुजुर्गों ने रामाश्रय वार्ड की ओपीडी में विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के लिए परामर्श लिया है। इसी प्रकार रामाश्रय आईपीडी में 32 हजार से अधिक वृद्धजनों को भर्ती कर उपचार उपलब्ध करवाया गया है। अब तक 3 लाख 14 हजार से अधिक लैब टैस्ट किए गए हैं एवं 8 हजार 320 बुजुर्गों को फिजियोथैरेपी सेवाएं प्रदान की गयी हैं। गंभीर स्थिति में उच्च स्तरीय उपचार के लिए 1 हजार 706 रोगियों को यहां रैफर किया गया है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में इस मानवीय पहल को 100 दिवसीय कार्य योजना में शामिल कर अल्प समय में निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया गया। प्रायः यह देखा जाता था कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले बुजुर्गों को उपचार को लेकर असहजता महसूस होती थी। इस समस्या के समाधान की दृष्टि से रामाश्रय वार्ड बनाए गए, जहां वृद्धजनों के उपचार एवं देखभाल की विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं।
इन सुविधाओं से लैस हैं रामाश्रय वार्ड-
रामाश्रय वार्डों में 10 फाउलर बैड आरक्षित किए गए हैं। इनमें से 5 बैड महिला एवं 5 बैड पुरूषों के लिए हैं। हर बैड के बीच पार्टीशन कर पर्दे लगाए गए हैं। बैड के पास नर्सिंग अलार्म सिस्टम लगाए गए हैं ताकि आपात स्थिति में वृद्धजन तुरंत नर्सिंग स्टाफ को बुला सकें। वार्ड में महिला एवं पुरूष रोगियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं। इन शौचालयों में ग्रेब-बार लगाए गए हैं। वार्ड में फिजियोथेरेपिस्ट एवं फिजियाथैरेपी से संबंधित उपकरणों की समुचित व्यवस्था की गई है। इनमें शॉर्ट वेव डायाथर्मी, अल्ट्रासाउण्ड थैरेपी, सरवाइकल ट्रेक्शन, पैल्विक ट्रेक्शन, ट्रांस इलेक्ट्रिक नर्व स्टिमुलेटर जैसे उपकरण शामिल कर वार्ड में व्हील चेयर, ट्रोली, मेडिसिन कैबिनेट एवं अन्य आवश्यक फर्नीचर उपलब्ध करवाया गया है।
हर वार्ड का नोडल अधिकारी, बैड पर ही जांच-
वार्ड का एक नोडल अधिकारी बनाया गया है, जो वार्ड की समस्त व्यवस्थाओं का प्रबंधन करता है। रोगियों की देखभाल के लिए अलग से नर्सिंग स्टाफ तथा साफ-सफाई के लिए कार्मिक नियोजित किए गए हैं। वृद्धजनों को आईपीडी के समय पर विशेषज्ञ सेवाएं वार्ड में ही उपलब्ध हो रही हैं। जांच के लिए सैम्पल भी वार्ड से ही एकत्र कर रिपोर्ट भी बैड पर ही उपलब्ध करवाई जा रही है। वृद्धजनों के उपचार एवं अन्य व्यवस्थाओं से संबंधित सभी चिकित्सकों, नर्सिंग स्टाफ, फिजियोथैरेपिस्ट एवं अन्य कार्मिकों के दूरभाष नंबरों की सूची वार्ड के बाहर प्रदर्शित की गई है।
ओपीडी सेवाओं के लिए जेरियाट्रिक क्लिनिक-
राजकीय जिला अस्पतालों एवं उप जिला अस्पतालों में वृद्धजनों को ओपीडी सेवाओं के लिए जेरियाट्रिक क्लिनिक की व्यस्था की गई है। साथ ही अस्पतालों में रजिस्ट्रेशन काउंटर, जांच काउंटर, दवा वितरण केंद्र आदि पर वृद्धजनों के लिए अलग से व्यवस्था सुनिश्चित की गई है ताकि उन्हें अधिक समय कतारों में नहीं खड़ा रहना पडे़ और आसानी से उपचार मिल सके।
व्यवस्थाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए भारत सरकार को भेजा प्रस्ताव-
प्रदेश के अस्पतालों में वृद्धजनों को सुविधाजनक रूप से स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाने के लिए व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए चिकित्सा विभाग ने 22 करोड़ रूपए का प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव के तहत वृद्धजनों के उपचार के लिए आवश्यक उपकरण, चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण सहित अन्य कार्य सम्पादित किए जाएंगे।
साल में चार बार नि:शुल्क जांच एवं पार्किंग सुविधा-
प्रदेश में बुजुर्ग अब साल में चार बार नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच करवा सकेंगे। यह सुविधा बुजुर्गों के लिए सभी जिला अस्पतालों, उप जिला अस्पतालों से लेकर सीएचसी स्तर तक उपलब्ध होगी। साथ ही एक एडवाइजरी जारी कर सभी जिला अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में बुजुर्गों को पार्किंग सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध करवाने के भी निर्देश दिए गए हैं।