सिंगल सुपर फास्फेट खाद के प्रयोग से सरसों की पैदावार व तेल की मात्रा में वृद्धि
भरतपुर, 02 अक्टूबर। संयुक्त निदेशक कृषि आरसी महावर ने बताया कि सरसों फसल के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने अनुसंधान में पाया गया है कि सिंगल सुपर फास्फेट खाद के प्रयोग से, इसकी पैदावार तथा तेल की मात्रा दोनो बढती है। सिंगल सुपर फास्फेट में 16 प्रतिशत फास्फोरस तत्व के साथ 11 प्रतिशत गंधक तत्व मिलता है। सिंगल सुपर फास्फेट का फास्फोरस पानी घुलनशील है जो पौधों को तुरन्त उपलब्ध हो जाता है जबकि डी.ए.पी. का फास्फोरस साइट्रेट में घुलनशील होता है जो भूमि में फिक्स हो जाता है और पूरी मात्रा में पौधों को नहीं मिल पाता जिससे जमीन कठोर हो जाती है ।
उन्होंने बताया कि एक बीघा में 40 किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट पर्याप्त रहता है। इस खाद के साथ 15 कि०ग्रा० यूरिया प्रति बीघा अंतिम जुताई से पहले खेत में छिडकर जुताई कर दे तथा सुपर फास्फेट खाद मशीन से ओरकर पाटा लगावे इस के बाद किसान भाई सरसों की लाइनों में बुबाई करें । सिंगल सुपर फास्फेट खाद डी.ए.पी. की तुलना में अच्छा होता है इससे सरसों की उपज में बढोतरी के साथ साथ तेल की मात्रा भी बढ़ती है। इस समय जिले में पर्याप्त मात्रा में सिंगल सुपर फास्फेट खाद उपलब्ध है। डी.ए.पी. के पीछे फसल बुवाई में विलम्ब नहीं करें।
उन्होंने बताया कि भरतपुर जिले में सरसों की बुवाई का कार्य शुरू होने वाला है। सरसों की बुवाई पूरे अक्टूबर माह में की जा सकती है। बुवाई सबसे उपयुक्त समय 15 से 25 अक्टूबर है। सरसों की बुवाई के समय आम तौर पर किसान डी.ए.पी. खाद का प्रयोग करते है, जिसकी उपलब्धता इस समय कम चल रही है। सरसों की अच्छी पैदावार के लिए गंधक तत्व की आवश्यकता होती है, जो दाने में तेल की मात्रा बढ़ाने के साथ दाने में चमक लाती है। डी.ए.पी. से सिर्फ 46 प्रतिशत फास्फोरस एवं 18 प्रतिशत नाइट्रोजन तत्व मिलता है इसमें गंधक तत्व नहीं होता है।
- कौशलेन्द्र दत्तात्रेय