बिना पंचांग देखे ही शुभ कार्यों का मुहूर्त 2 फरवरी बसंत पंचमी को
लक्ष्मणगढ़ (अलवर) कमलेश जैन
हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्योहार हर वर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस तिथि की शुरुआत 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर होगी। इसका समापन 03 फरवरी को प्रातः 06 बजकर 52 मिनट पर होगा। अर्थात बसंत पंचमी का पर्व 2 फरवरी को मनाया जायेगा।बसंत पंचमी का त्योहार सरस्वती पूजा के रूप में भी प्रसिद्ध है। इस दिन माता सरस्वती की विशेष पूजा की जाएगी। योग शिक्षक पंडित लोकेश कुमार ने बसंत पंचमी का महत्व बताते हुए कहा कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार, बसंत पंचमी को एक विशेष मुहूर्त माना जाता है। यह उन विशेष दिनों में से एक है, जब बिना पंचांग देखे किसी भी शुभ कार्य को संपन्न किया जा सकता है। बसंत पंचमी के दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति अत्यंत अनुकूल होती है। बसंत पंचमी के अवसर पर चंद्रमा भी शुभ स्थिति में होता है, जिससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति होती है। इस दिन पीले वस्त्र पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है, जो किस्मत में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होता है।
बसंत पंचमी का पर्व बसंत ऋतु के आगमन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। विद्या की देवी माता सरस्वती की आराधना की जाती है।बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है । यह पूजा हर वर्ष माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आयोजित की जाती है। इस विशेष अवसर पर विद्यार्थियों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में मां सरस्वती को ज्ञान और विद्या की देवी माना गया है। इसलिए उनकी पूजा करने से साधक को ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है।
मां सरस्वती की पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः 07 बजकर 08 मिनट से आरंभ होगा और दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक चलेगा। बसंत पंचमी का मध्याह्न क्षण दोपहर 12:34 बजे होगा।