तरुण भारत संघ का ‘‘स्वर्ण जयंती उत्सव ’देश और विदेश के 500 से अधिक लोग हुए शामिल

Jun 1, 2025 - 10:22
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तरुण भारत संघ का ‘‘स्वर्ण जयंती उत्सव ’देश और विदेश के 500 से अधिक लोग हुए शामिल

गोलाकाबास/किशोरी (रितीक शर्मा )  कस्बे के समीपवर्ती   तरुण भारत संघ के स्वर्ण जयंती वर्ष के अवसर पर तरुण आश्रम,भीकमपुरा में “स्वर्ण जयंती उत्सव“ का आयोजन किया गया। इसमें तरुण भारत संघ से जुड़े देश और विदेश के 500 से अधिक लोग शामिल हुए। इस अवसर पर तरूण भारत संघ के कार्य से चंबल में हुए परिवर्तन पर आधारित मराठी अखबार ‘सकाल’ के पूर्व प्रधान संपादक श्रीराम पवार द्वारा मराठी में संपादित व राजेन्द्र सिंह जी द्वारा लिखित पुस्तक ’निसर्ग आणि माणूस’ का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर तभासं के 50 वर्षों के कार्यों की सिद्धी से जुड़े हुए 110 लोगों को जीवन रत्न सम्मान,निष्ठा-विभूषण सम्मान, कर्म-भूषण सम्मान,प्रगति-श्री सम्मान, सृजन-श्री सम्मान, नव-दीप सम्मान, प्रकृति-संवादक, नदी नायक सम्मान, नदी प्रहारी सम्मान, प्रकृति-प्रबोधक, नदी - ज्ञानी,सागर नायक, पर्वत प्रहरी और सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया।
 जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि 50 वर्ष पूर्व   में राजस्थान सरकार ने तरुण भारत संघ को पंजीकृत प्रमाण पत्र दिया था। इस अवसर पर जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के कुलपति ने कर्नल प्रो शिव सिंह सारंगदेवोत ने कहा कि,तभासं ने 50 वर्षों में समाज के पिछडे,आर्थिक रूप  से गरीब लाचार,बेसहारा लोगों को जल संरक्षण के काम में लगाकर, भारतीय विरासत व ज्ञानतंत्र का संरक्षण करके नदियों और उनकी सभ्यता को पुनर्जीवित किया है। उत्सव में शामिल सकाल अखबार के पूर्व प्रधान संपादक श्रीराम पवार ने कहा कि, मैं पिछले साल चंबल में गया था। इन्होनें चंबल की हिंसा को अहिंसा में बदलने का जो चमत्कारी काम किया है,वो अद्धभुत है, जो पूरी दुनिया को सीखने लायक है। 
सर्वोदय कार्यकर्ता रामधीरज सिंह ने कहा कि, हमारे जीवन के पिछले 50 वर्षों एक मात्र संस्था देखी है जो कृतज्ञता बोध का अहसास अपने मन में रखती है। इसलिए तभासं के साथ मिलकर दुनिया भर के काम करने वालों चित्र पत्थरों पर उकेरे गए है।
जलबिरादरी के राष्ट्रीय समन्व्यक सत्यानाराण बुल्लीसेट्टी,सुनील रहाणे,नरेन्द्र चुघ,विनिता आपटे,रामाकांत कुलकर्णी, आशुतोष रामगिर, प्रवीण महाजन,अनिकेत लोहिया ने कहा कि, हमने तभासं से सीखकर प्रकृति और नदी की चेतना बढ़ाने का काम देशभर में कर रहे है। 
 जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, यह 50 वर्षो की यात्रा एक रेल की यात्रा है, जो अपनी पटरी पर चल रही है। उसमें बहुत सारे मुसाफिर आते हैं, चढ़ जाते हैं,सीट पर बैठ जाते हैं फिर जल्दी से स्टेशन आता है उतर जाते हैं। इस यात्रा में बहुत कम लोग होते हैं जो यात्रा के आरंभ के स्टेशन से आखिरी स्टेशन तक की अपनी यात्रा करते हैं; पर तरुण भारत संघ सौभाग्यशाली रहा है कि,इस रेल के डिब्बे में बैठने वाले मुसाफिर अंतिम रेलवे स्टेशन तक सफर कर रहे हैं। तरुण भारत संघ ने पिछले दो दशकों में ऐसे बहुत सारे प्रदेशों में काम शुरू किए हैं लेकिन आज का दिन देश भर के लोगों के सामने तरुण भारत संघ को अपने संकल्प की साध्य की सिद्धि के लिए अपनी साधना और अपने साधनों की शुद्धि को पारदर्शिता से रखने का दिन है।
 तभासं के निदेशक मौलिक सिसोदिया ने तभासं की यात्रा का विवरण देते हुए कहा कि, वर्ष 1975 में जयपुर,राजस्थान में तरुण भारत संघ की स्थापना भारत में सतत विकास एवं पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। अलवर में तरुण भारत संघ द्वारा पारंपरिक वर्षा जल संचयन प्रणालियों का पुनरुद्धार, जोहड़ों का निर्माण तथा लुप्त होती नदियों का पुनर्जीवन जैसे प्रयास किए गए, जिन्होंने आगे चलकर न केवल पर्यावरणीय संतुलन बहाल किया,बल्कि स्थानीय समुदायों के जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन लाया। वर्ष 1986 में, तरुण भारत संघ ने राजस्थान के  गोपालपुरा गाँव में स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी से पहला जोहड़ निर्माण कर जल संरक्षण की दिशा में अपने प्रयासों की शुरुआत की। जल संरक्षण के साथ-साथ तभासं ने मातृ एवं शिशु विकास, वयस्क शिक्षा, स्वास्थ्य क्लिनिक, ग्राम स्वच्छता, जैविक खेती, सुरक्षित अनाज भंडारण जैसे अनेक सामाजिक कार्यक्रम भी प्रारंभ किए।    
2000 में,भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने तभासं द्वारा पुनर्जीवित अरवरी नदी का दौरा किया, जो संगठन के कार्य को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता का प्रतीक बना।2001 में, जल पुरुष  राजेन्द्र सिंह को सतत विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए ’रैमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।  2002 में, तरुण भारत संघ ने राष्ट्रीय जल यात्रा की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य देशभर में जल संरक्षण और सतत विकास के प्रति जनचेतना का विस्तार करना था। वर्ष 2003 में, ब्रिटेन के वेल्स के प्रिंस चार्ल्स (वर्तमान में इंग्लैंड के महाराजा चार्ल्स) ने तरुण भारत संघ के कार्यक्षेत्र का दौरा कर जल संरक्षण प्रयासों की सराहना की, जिससे संगठन को अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त हुई। 2005 में “जल बिरादरी“ को औपचारिक रूप से पंजीकृत किया गया और “तरुण जल विद्यापीठ“ की स्थापना की गई। 2015 में, राजेन्द्र सिंह को “स्टॉकहोम वॉटर प्राइज“ से सम्मानित किया गया जिसे जल क्षेत्र का “नोबेल पुरस्कार“ माना जाता है। इस अवसर पर  तरुण भारत संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुरेश रैकवार, छोटेलाल गुर्जर, पारस प्रताप सिंह, राहुल सिंह आदि मौजूद थे।

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