झील बचाओ किसान बचाओ आंदोलन कि प्रशासन से वार्ता विफल
महिलाओं ने संभाला मोर्चा, कहा किसी भी कीमत पर नहीं होने देंगे ट्यूबवेल।

अलवर (अमित भारद्वाज) उपखंड की एकमात्र जीवित झील को बचाने के लिए अब पांचवें दिन के धरने में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुई। इस आंदोलन में अब महिलाएं भी कूद पड़ी है। वहीं क्षेत्र के साधु संत भी अब झील और जयसमंद बंध तथा किसान के परिवार को बचाने के लिए आगे आने लगे हैं। प्रशासन से झील बचाओ संघर्ष समिति की वार्ता विफल हो गई। वहीं 20 सूत्री मांग पत्र उपखंड अधिकारी अलवर यशार्थ शेखर को दिया गया। इस क्षेत्र में ट्यूबवेल नहीं लगा ने, ईआरसीपी योजना को लागू करने, गर्भा जी तक रोड चौड़ा करने ,हेड पंप लगवाने ,वन अधिकार अधिनियम लागू करने ,बिजली घर को चालू करवाने ,सरकार के आवंटित भूमि को बहाल करने ,हमीरपुर तक रोड निर्माण, वही जलदाय विभाग के दो अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर ज्ञापन सोपा गया। इस दौरान अलवर तहसीलदार व अकबरपुर थाना अधिकारी भी मौजूद रही।
इस मांग पत्र पर प्रशासन और संघर्ष समिति में वार्ता विफल रही। धरना स्थल पर सौदानपुरा, पैंतपुर ,साहोडी, सुकल, उमरैण, सहित अन्य गांव से बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंची। जहां उन्होंने खेती-बाड़ी के गीत भजन गाए। इसके साथ महिला धोली देवी ने कहा बोरिंग होने से यह झील सूख जाएगी और किसान परिवार जीते जी मर जाएगा । पहले भी सरकार ने जयसमंद बांध के नीचे बोरिंग की थी जो जयसमंद बांध सूखकर बर्बाद हो गया। इसलिए हम किसी भी हालत में यहां बोरिंग नहीं होने देंगे। वही लोक देवता बाबा भरतरी धाम पर सेवा पूजा करने वाले पदम नाथ का कहना था किसान और जवान इस देश के रक्षक हैं। अगर पानी नहीं रहेगा तो किसान अनाज कहां से उत्पन्न करेगा। इसलिए सिलीसेड के क्षेत्र में ट्यूबवेल लगाना गलत है। और इस क्षेत्र में ट्यूबवेल नहीं लगने देंगे। सोमवार को धरने पर प्रेम पटेल, जाकिर खान ,भवेंद्र पटेल, रामजीलाल ,सुरेंद्र भारती, भूपत सिंह, पेमाराम ,रतिराम ,सुराग्यनी मीणा , रुस्तम खान, नंदलाल ,निहाल सिंह सहित हजारों की संख्या में किसान मौजूद रहे। उधर उपखंड अधिकारी अलवर ने बताया संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल आया लेकिन वार्ता के दौरान सहमति नहीं बनी।






