मातमी धुन से निकाला गया मोहर्रम का जुलूस
तखतगढ़ में मोहर्रम के तहत आज कहीं जगह मातमी धूनो पर ताजियों का जुलूस निकाला गया, जूलूस में मुस्लिम समाज के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तखतगढ़ या हुसैन के नारों से के गूंज उठा ताजिया जुलूस को देखते हुए सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गई थी मातमी धूनो के साथ प्रमुख व्यवस्था की गई ताजिया निकाले गये ताजियों का जूलूस मुख्य जामा मस्जिद, ठाकुरजी मंदिर, मैंने बाजार, पोस्ट आफिस गली, पीरो की दरगाह ताजिया निकाला गये ताजियों का जुलूस मुख्य होली चौक गोगरा रोड जाकर संपन्न होगा, मुस्लिम समाज के युवा ढोल बजा पीट कर प्रदर्शन करते नजर आए ताजिये के जुलूस को देखते हुए मुस्लिम की तरह से जगह जगह मीठे पानी की व्यवस्था की शरबत व खीर फल खिचड़ी वितरण की व्यवस्था की गई थी, सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस के अतिरिक्त जाब्ता लगाया था जुलूस के दौरान सुमेरपुर सीओ गोपेन्द्र सिंह , थानाधिकारी भगाराम मीना , हेड कांस्टेबल रविन्द्र कुमार, अमरूद्दीन खां, कुंदन सिंह , व मुस्लिम कमेटी सदर दिन मोहम्मद सिलावट, लाइसेंसधार फतेह मोहम्मद, ताज मोहम्मद , अखाड़ा उस्ताद साबीर खां, अन्य गण मौजूद रहे।
इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार हज़रत इमाम हुसैन 72 साथियों संग मोहर्रम की 10 तारीख को मैदान - ए कुर्बला में शहीद कर दिए थे इस्लाम को बचाने के लिए हजरत इमाम हुसैन ने मोहर्रम में यजीद से जग की थी, इस्लामिक कैलेंडर की पहले महीने की मोहर्रम में 10 दिन खास होते हैं इमाम हुसैन की शहादत ओर कुर्बानी को मोहर्रम में याद किया जाता है. मोहर्रम के मौके पर चांद रात से ही धार्मिक आयोजन शुरू हो जाते हैं
कौन थे हजरत इमाम हुसैन
हजरत इमाम हुसैन पैगम्बर हजरत मोहम्मद के नवासे थें. इमाम हुसैन के पिता का नाम शेरे खुदा अली था. अली पैगम्बर मुहम्मद के दामाद थे. इमाम हुसैन और हसन की मां का नाम फातिमा था . वफात के बाद लोग इमाम हुसैन को ख़लीफा बनाना चाहते थे. लेकिन हजरत अमीर मुआविया ने खिलाफत पर कब्जा कर लिया. मुआविया के बाद बेटे यजीद ने खिलाफत को अपना लिया. यजीद को इमाम हुसैन से खटका लगा रहता था . इस्लाम को बचाने की खातिर यजीद के खिलाफ इमाम हुसैन ने कर्बला की जंग लडी ओर शहीद हो गये