सभी कार्यालयों में आन्तरिक जांच समिति का गठन किये जाने के निर्देश

Feb 28, 2025 - 16:50
Feb 28, 2025 - 18:21
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सभी कार्यालयों में आन्तरिक जांच समिति का गठन किये जाने के निर्देश

भरतपुर, 28 फरवरी/ कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) महिलाओं को कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम, 2013 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए जिला कलक्टर डॉ अमित यादव ने महिलाओं के साथ लैंगिक उत्पीड़न संबंधी शिकायतों के लिए समस्त कार्यालयाध्यक्षों को उनके कार्यालय, अधीनस्थ कार्यालयों, संस्थाओं, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, संस्थानों, निकायों, राजकीय संगठनों के जिला, ब्लॉक व ग्राम स्तर के कार्यालयों में आंतरिक शिकायत समिति का गठन करने के निर्देश दिए है।
जिला कलक्टर द्वारा जारी निर्देशानुसार जिन कार्यालयों में 10 या 10 से अधिक कार्मिक पदस्थापित हैं, उनमें आंतरिक शिकायत समितियों का गठन किया जाना है। जिन कार्यालयों में समिति का गठन नहीं किया गया है, उनमें 5 दिवस में आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया जाना अनिवार्य है।
महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक राजेश कुमार ने बताया कि अधिनियम की धारा 26(1)(ए) के अनुसार इस प्रावधान के उल्लंघन पर अधिकतम 50 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। संबंधित प्रपत्र एवं नियम/अधिनियम हेतु विभाग की बेबसाइटhttps://wcd.rajasthan.gov.in  व https://shebox.wcd.gov.in  पर देखे जा सकते है। उन्होंने बताया कि यदि संस्थान, कार्यालय की आंतरिक शिकायत समिति 3 वर्ष या इससे अधिक पुरानी है तो अधिनियम के अनुसार समिति का पुनर्गठन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आंतरिक शिकायत समिति के अध्यक्ष/सदस्य में किसी अधिकारी, कर्मचारी का स्थानांतरण हो जाने पर उसके स्थान पर नवीन का मनोनयन किया जाए। आंतरित समिति का गठन करके निर्धारित प्रपत्र में सूचना भरकर भिजवाना आवश्यक है। सूचनाएं विभाग के ईमेल आईडी BHRRATPUR.WE@RAJASTHAN.GOV.IN पर भिजवाई जाए। उन्होंने बताया कि अधिक जानकारी हेतु शी-बॉक्स प्रभारी पूजा वाशुमति के मोबाइल नंबर 7500181850 से संपर्क किया जा सकता है।
आंतरिक शिकायत समिति गठन का प्रारूप’
महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक ने बताया कि समिति में अध्यक्ष के लिए ऐसी महिला का नामांकन किया जाए, जो उस कार्यस्थल के सभी कार्यरत कर्मचारियों में से वरिष्ठ स्तर पर कार्यरत हो। यदि ऐसी वरिष्ठ स्तरीय महिला कर्मचारी उपलब्ध नहीं है तो संबंधित संस्था के अन्य कार्यालय अथवा प्रशासनिक इकाईयों में कार्यरत महिला कर्मचारी को नामांकित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि यदि उस कार्यस्थल के अन्य कार्यालयों अथवा प्रशासनिक इकाईयों में भी ऐसी वरिष्ठ स्तरीय महिला कर्मचारी उपलब्ध नहीं है तो उस नियोक्ता के अन्य कार्यस्थलों अथवा विभाग अथवा संगठन में कार्यरत महिला कर्मचारी को नामांकित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि समिति में कम से कम दो सदस्यों को उस कार्यस्थल के सभी कार्यरत कर्मचारियों में से नामांकित किया जाएगा जो महिलाओं से सम्बन्धित विषयों के प्रति कार्य करने में पर्याप्त अनुभवी एवं समर्पित हों तथा जिनको सामाजिक कार्य अथवा कानूनी जानकारी हो। इसी के साथ एक सदस्य ऐसी स्वयंसेवी संगठनों में से नामित किया जाएगा, जो महिलाओं के विषयों के प्रति समर्पित हो एवं ऐसा व्यक्ति यौन शोषण के मुद्दे में पर्याप्त जानकारी रखता हो। नामित सदस्यों में से कम से कम 50 प्रतिशत सदस्य महिलाएं होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि अध्यक्ष एवं सदस्यों के कार्यकाल का निर्धारण नियुक्ति की तिथि से नियोक्ता द्वारा निर्धारित अवधि के अनुसार (अधिकतम 3 वर्ष) किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अधिनियम के अध्याय 8 की धारा 21 (1) की पालना में आंतरिक शिकायत समितियों के द्वारा प्रत्येक कैलेण्डर वर्ष के लिए निर्धारित फार्म में एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार कर नियोक्ता द्वारा जिला कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट को प्रेषित की जाएगी। जिसमें वर्ष में प्राप्त लैंगिक उत्पीड़न की शिकायतों की संख्या, वर्ष के दौरान निस्तारित की गई शिकायतों की संख्या, 90 दिन से अधिक अवधि तक लंबित मामलों की संख्या, लैंगिक उत्पीड़न के विरूद्ध क्रियान्वित कार्यशालाओं या जागरूकता कार्यक्रमों की संख्या व नियोक्ता द्वारा की गयी कार्यवाही का स्वरूप आदि ब्यौरे शामिल होंगे।

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