विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर विधिक शिविर हुआ आायोजित

मकराना (मोहम्मद शहजाद)। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जयपुर, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मेड़ता व अध्यक्ष, ताल्लुका विधिक सेवा समिति के निर्देशानुसार विशेष दिवस पर मकराना शहर के हॉस्पिटल रोड़, पंचायत के पास पैनल अधिवक्ता तलत हुसैन हनीफी ने विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर विधिक शिविर आायोजित कर जानकारी प्रदान की गई। हनीफी ने कहा कि इस दिन के इतिहास की बात करें, तो सन् 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहली बार विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने की पहल की थी। उस समय इस दिन को मनाने का उद्देश्य था कि विश्व स्तर पर तंबाकू से होने वाले नुकसानों के प्रति जागरूकता फैलाई जाए और लोगों को इसके सेवन से रोका जाए। पहली बार 7 अप्रैल 1988 को यह दिन मनाया गया, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना दिवस के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि समय के साथ बाद में यह तय हुआ कि हर साल 31 मई को विशेष रूप से तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाएगा ताकि तंबाकू से मुक्ति का संदेश अधिक प्रभावशाली तरीके से दिया जा सके। तब से हर साल एक खास थीम के साथ विश्व तंबाकू निषेध दिवस को मनाया जाता है। तंबाकू एक ऐसा जहर है जिसे इंसान अपने हाथों से खरीदकर, चबा-चबाकर या फूंक-फूंककर खुद को मौत के नजदीक ले जाता है। सिगरेट, बीड़ी, गुटखा, जर्दा, पान मसाला जैसे रूपों में बिकने वाला तंबाकू न केवल एक व्यक्ति के शरीर को खोखला कर देता है, बल्कि परिवार को भी तबाह कर देता है। तंबाकू से होने वाले खतरों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष के अभियान का उद्देश्य तम्बाकू और निकोटीन उद्योगों द्वारा अपने हानिकारक उत्पादों को, विशेष रूप से युवा लोगों के लिए, आकर्षक बनाने के लिए अपनाई गई रणनीतियों को उजागर करना है। इन युक्तियों को उजागर करके जागरूकता बढ़ाना है, मजबूत नीतियों की वकालत करना है, जिसमें तम्बाकू और निकोटीन उत्पादों को अधिक आकर्षक बनाने वाले स्वादों पर प्रतिबंध लगाना शामिल है और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करना है। विश्व तंबाकू निषेध दिवस का मुख्य उद्देश्य लोगों को तंबाकू के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले घातक प्रभावों के बारे में जागरूक करना है। इस खास मौके पर विश्व स्तर पर कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।






