पसोपा में साधु-संतों और पद यात्रियों ने सांकेतिक धरना प्रदर्शन कर की महापंचायत

करीब 5 हजार पद यात्रियों ने ब्रज के पर्वतों को बचाने का लिया संकल्प

Nov 13, 2021 - 23:44
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पसोपा में साधु-संतों और पद यात्रियों ने सांकेतिक धरना प्रदर्शन कर की महापंचायत

ड़ीग (भरतपुर,राजस्थान/ पदम जैन) राधा रानी ब्रज 84 कोस यात्रा शनिवार को  5000 से अधिक पदयात्रियों के साथ गांव खोह  से आदिबद्री धाम होते हुए  पसोपा धरना स्थल पर पहुची जंहा यात्रा में शामिल सभी साधु-संतों  व पदयात्रियों ने वंहा सड़क पर वैठ कर आदि बद्री और कंकाँचल पर्वतों को वन संरक्षित क्षेत्र घोषित करने के मुख्यमंत्री के निर्णय के बावजूद राजस्व मंत्रालय द्धारा सहमति में बिलंब किये जाने के बिरोध में सांकेतिक धरना दिया।जिससे कई घंटे तक डीग - कैथवाड़ा मार्ग रहा बंद रहा।
शनिवार को आदिबद्री व कनकाचल पर्वत को खनन मुक्त कराने के लिए जारी धरने के 303 वे दिन पसोपा धरना स्थल पर ब्रजवासियों एवं साधु संतों की महापंचायत आयोजित की गई। महापंचायत में संत रमेश बाबा की राधा रानी ब्रज जी चौरासी कोस यात्रा के हजारों पदयात्रियों ने साधु संतों व ब्रजवासियों के साथ  राजस्थान के राजस्व मंत्रालय के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री की घोषणा के बावजूद राजस्व मंत्रालय के अधिकारियों की बेवजह ढिलाई व उदासीनता के चलते अभी भी ब्रज के दोनों पर्वतों पर खनन कार्य बदस्तूर जारी है ।  सभी यात्रियों ने  राजस्थान सरकार से दोनों पर्वतों को अति शीघ्र संरक्षित करने का अनुरोध किया । पदयात्रियों का नेतृत्व कर रहे संत ब्रजदास ब संत नरसिंह दास ने महापंचायत में कहा कि अगर दोनों पर्वतों के वन संरक्षित क्षेत्र घोषित करने में अधिक विलंब होता है तो आज मोजूद लोगो से कई बड़ा जनसमूह अनिश्चितकालीन धरने पर बैठने के लिए पुनः तत्पर है। उन्होंने कहा कि एक अक्टूबर को राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा इस संबंध में सैद्धांतिक सहमति व्यक्त किए जाने के बाद भरतपुर के जिलाधीश ने एक विस्तृत प्रस्ताव राजस्व विभाग को स्वीकृति के लिए भेजा था। प्रस्ताव को भेजे हुए 29 दिन से अधिक हो गए हैं लेकिन अभी तक राजस्व मंत्री द्वारा आवश्यक हस्ताक्षर कर स्वीकृति प्रदान नहीं की गई है ।

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 संरक्षण समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री ने बताया कि साधु संतों व ब्रजवासियों की  महापंचायत में प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से  भरतपुर के जिलाधिकारी द्वारा इस संबंध में 12 अक्टूबर को भेजे गए प्रस्ताव को अपने कार्यालय में मंगवाकर अनुमोदित करने तथा 

जिला प्रशासन को सख्त निर्देश देने कि कनकाचल व आदिबद्री क्षेत्र में किसी प्रकार का कोई भी खनन,  क्रेशर,  चक्की आदि का संचालन ना हो पाए एव कनकाचल व आदिबद्री क्षेत्र में अवैध खनन किए गए पत्थरों व ओवरलोडिंग वाहनों के परिवहन पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाया जाए तथा  इसको लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाए। महापंचायत के अंत में ए.डी.एम. हेमंत कुमार धरना स्थल पर पहुंचे। जंहा आन्दोलनकारियो द्धारा महापंचायत द्वारा पारित प्रस्ताव की प्रति सोंपी गई ।
इस अवसर पर हजारों साधु-संत, पदयात्रियों व ब्रजवासियों के अलावा मुख्य रूप से आसपास के गांव के कई सरपंच, जनप्रतिनिधि, आदि बद्री के महंत शिवराम दास भूरा बाबा हरि बोल बाबा,  मान मंदिर के सचिव ब्रजदास, समाजसेवी मुकेश शर्मा, साध्वी गौरी, साध्वी श्रीजी, साध्वी तुंगविद्या, ब्रजकिशोर दास, गोपालदास बाबा, हनुमान दास बाबा आदि उपस्थित थे।


 

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