सफेद लट व गिनार रोग ने किसानो के अरमानो पर पानी फेरा

Sep 14, 2020 - 03:49
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सफेद लट व गिनार रोग ने किसानो के अरमानो पर पानी फेरा

बयाना अलवर 

बयाना 13 सितम्बर।  पहले प्राकृतिक प्रकोप फिर टिडडी दल के हमलो ने किसानो के अरमानो पर पानी फेर दिया था। और अब सफेद लट व गिनार किसानो के सपनो को चट कर रही है। जिससे किसानो का दिन का चैन व रातो की नींद हराम हो गई है। कुछ दिन पूर्व तक इस बार अनुकूल मौसम व अच्छे मानसून के चलते खेतो में लहलहा रही ज्वार बाजरा,ग्वार व तिली की फसलो को देखकर जो किसान फूले नही समा रहे थे वह अब खून के आंसू रोने को मजबूर है। खेतो में लहलहा रही इन फसलो को अब सफेद लट व गिनार ऐसे चट करने में लगी है जैसे यह फसले खेतो में उन्ही के लिऐ पैदा की गई है।

बुर्जुग कृषक हरीसिहं ने बताया कि खेतो में खडी ज्वार की फसल की जड व तने में सफेद लट लग गई है जो सफेद रंग की और दो इंच तक लम्बी व काफी मोटी होती है। यह सफेद लट जड व तने को खाकर पूरी फसल को नष्ट कर रही है। इसी प्रकार बाजरे की फसल की बाली में गिनार लग गई है। जो आधा इंच से एक इंच तक लम्बी व पतली होती है यह गिनार आरभ्भिंक अवस्था में हरे रंग की व बाद में अवस्था के अनुसार रंग बदलती है। जो बाजरे की बाली में पडने वाले दाने को चट कर फसल को वर्बाद  करने का काम कर रही है। कृषि अधिकारी सुरेश गुप्ता के अनुसार इसे होली पोथिस लट कहते है। जो बाजरे की बाली को पकने से पहले ही चट कर जाती है। इसे रसायनिक दवा का छिडकाव कर नष्ट किया जा सकता है। या फिर बरसात होने पर स्वतंः ही धुलकर नष्ट हो जाती है। किन्तु इस बार मानसून के अंत में मानसून पिछड जाने से अब बरसात नही होने के कारण यह लट बरसात से धुलकर नष्ट नही हो सकी है। इधर खेतो में ज्वार बाजरे की फसल 4 से 6 फुट तक लम्बी हो जाने से इन फसलो पर रसायनिक दवा का छिडकाव करना भी असंभव हो गया है। ऐसी सूरत में लट व गिनार का प्रकोप इन फसलो में दिनो दिन बढता ही जा रहा है। और किसान बेचारा असहाय सी हालत में अपने को बर्बाद होता देख रहा है।

कृषक बृजेन्द्रसिहं व विक्रम कंसाना ने बताया कि तिली की फसल में भी सूक्षम वायरस या फफूंदी जैसा रोग लग गया है जिससे तिली के पत्ते व फली पर काले हरे रंग जैसी फफूंदी सी छा जाती है। और पत्ते व फली आरम्भिंक अवस्था मे ेंही मुटठा जैसा बन जाते है। और तिली की फसल नष्ट होने लगती है। गांव गुर्दानदी निवासी युवा कृषक लोकेश ने बताया कि उसने बडे अरमाने के साथ भारी लागत लगाकर करीब 20 बीघा खेते में तिली की फसल बोई थी। जो इस बार रोग लग जाने से मुटठा जैसा बनकर नष्ट हो गई है। कृषक लोकेन्द्र ने बताया कि इस बार बाजरा व ज्वार की फसलो में कीट रोग लग जाने से अब पशुओ को चारे की समस्या भी हो गई है। इन फसलो से जहां खाने को ज्वार व बाजरा मिल जाता था,वहीं पशुओ के लिऐ भी 6 माह के लिऐ हरे व सूखे चारे की व्यवस्था भी हो जाती थी। किन्तु अब कीट रोग लग जाने से किसानो व पशु पालको के सामने अपना पेट भरने के साथ ही अपने पालतु पशुओ का पेट भरने की समस्या खडी हो गई है। इसका दूध उत्पादन पर भी विपरीत असर पडेगा। कृषि अधिकारी के अनुसार बयाना क्षेत्र में इस बार करीव 50 हजार हेक्टयेर क्षेत्र में ज्वार बाजरा तिली व ग्वार आदि की फसलो की वुवाई की गई है। और पूरे क्षेत्र में इन फसलो में बीमारी व कीट रोग का प्रकोप बना हुआ है। कहीं कहीं बोई गई अगेती फसले इन बीमारियो से बची हुई है। इधर भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष सुबुद्वीसिहं व जिला उपाध्यक्ष नारायनसिहं ने पीडित किसानो को मुआवजा व पशुचारे के इंतजाम कराये जाने की मांग की है।


बयाना से राजीव झालानी की रिपोर्ट

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