ज्ञानवापी केस में मंदिर पक्ष क्यों पहुंचा SC, सिद्धू के खिलाफ कौन सा मामला कोर्ट ने किया रद्द, इस हफ्ते कोर्ट में क्या कुछ हुआ

Dec 23, 2023 - 19:39
Dec 23, 2023 - 23:15
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ज्ञानवापी केस में मंदिर पक्ष क्यों पहुंचा SC, सिद्धू के खिलाफ कौन सा मामला कोर्ट ने किया रद्द, इस हफ्ते कोर्ट में क्या कुछ हुआ
सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट तक के वीकली राउंड अप में इस सप्ताह कानूनी खबरों के लिहाज से काफी उथल-पुथल वाला रहा है। संजय सिंह के खिलाफ केस को कोर्ट ने सही ठहराया है। ज्ञानवापी केस में अब सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचा मंदिर पक्ष? हाई कोर्ट ने राहुल की जेबकतरा वाली टिप्पणी को लेकर दिया कार्यवाही का निर्देश। गौतम नवलखा को जमानत देते हुए बोला बॉम्बे हाई कोर्ट ने क्या कहा? इस सप्ताह यानी 18 दिसंबर से 23 दिसंबर 2023 तक क्या कुछ हुआ? कोर्ट के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं। कुल मिलाकर कहें तो आपको इस सप्ताह होने वाले भारत के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे।  
संजय सिंह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के पर्याप्त सबूत
दिल्ली की एक अदालत ने शराब नीति मामले में आप नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह को जमानत देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ मामला वास्तविक है और प्रस्तुत सबूत कथित मनी लॉन्ड्रिंग में उनकी संलिप्तता दिखाते हैं। प्रस्तुत सामग्री से पता चलता है कि संजय सिंह कथित मनी लॉन्ड्रिंग के माध्यम से उत्पन्न प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपराध की आय से जुड़ी प्रक्रिया या गतिविधियों में शामिल थे। इस बीच, संजय सिंह के वकीलों ने अदालत से कहा कि उनके खिलाफ मामला राजनीति से प्रेरित है और उनके खिलाफ पैसे का कोई मामला नहीं है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या आरोपी से सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा के बयानों पर भरोसा किया जा सकता है।
ज्ञानवापी केस में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मंदिर पक्ष
ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व संबंधी विवाद में मंदिर पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी है। मंदिर पक्ष की ओर से पांचों मामलों में एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड भक्ति वर्धन सिंह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की गई। स्वयंभू भगवान विश्वेशर की ओर से निकट मित्र विजय शंकर रस्तोगी के जरिए कैविएट दाखिल की गई। कैविएट दाखिल करने का मतलब होता है कि संबंधित मामले में कोई भी आदेश पारित करने से पहले अदालत कैविएट दाखिल करने वाले पक्षकार को भी सुने। 
अदालत ने चुनाव आयोग को कार्रवाई करने का दिया निर्देश
दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को 22 नवंबर को उनके भाषण के लिए कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जेबकतरा कहा था। अदालत ने कहा कि राहुल का बयान ठीक नहीं है और ईसीआई से आठ सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार कार्य करने को कहा। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा की पीठ ने चुनाव आयोग से 23 नवंबर को राहुल गांधी को जारी नोटिस पर आठ सप्ताह के भीतर निर्णय लेने को कहा। दिल्ली उच्च न्यायालय एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें एक रैली के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और व्यवसायी गौतम अडानी को "जेबकतरे" कहने के लिए राहुल गांधी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी।
नवलखा के खिलाफ आतंकी साजिश रचने के सबूत नहीं
बॉम्बे हाई कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव के एल्गार परिषद और माओवादियों से लिंक केस के आरोपी गौतम नवलखा के जमातन आदेश में महत्वपूर्ण बात कही है। कोर्ट ने कहा कि रेकॉर्ड में ऐसी कोई सामग्री उपलब्ध नहीं है, जिसके आधार पर प्रथम दृष्टया यह अनुमान लगाया जा सके कि नवलखा ने किसी आतंकवादी कृत्य की साजिश रची अथवा उसे अंजाम दिया। नवलखा को ऐसे किसी कृत्य के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट ने नवलखा को जमानत का आदेश दिया था। 
सिद्धू के खिलाफ दर्ज आचार संहिता उल्लंघन का मामला रद्द
पटना उच्च न्यायालय ने क्रिकेटर से राजनीति में आए नवजोत सिंह सिद्धू को राहत देते हुए पिछले आम चुनाव के दौरान उनपर लगाए गए आदर्श आचार संहिता उल्लंघन के मामले को खारिज कर दिया है। सिद्धू ने 12 अक्टूबर, 2020 को कटिहार जिले में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के एक आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। निचली अदालत ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बारसोई थाना में उनके खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी पर संज्ञान लिया था। एक चुनावी रैली में सिद्धू के भाषण को लेकर भारतीय दंड संहिता और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत उक्त मामला दर्ज किया गया था। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति संदीप कुमार ने 19 दिसंबर को दिए आदेश में कहा कि निचली अदालत ने ‘यांत्रिक तरीके से’ आदेश पारित किया और याचिकाकर्ता को ‘विवेक का इस्तेमाल किए बिना’ समन जारी किया।

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