उलवर रियासत में दीपावली के पर्व को ''फिस्ट आफ लैंनटर्नस '' के रूप में मनाते हुए 'तोष खाने' में की जाती थी विष्णु लक्ष्मी की पूजा
अलवर (अनिल गुप्ता) उलवर से अलवर बनने तक दिवाली के पर्व को सनातन धर्म के बहुत से अनुयाई अभी भी परंपरा का निर्वहन करते हुए ''फिस्ट आफ लैंनटर्नस'' दीपावली के त्यौहार को उल्लास पूर्वक मना रहे हैं। जिसकी तैयारी पुरानी करेंसी को लेकर धनतेरस से ही शुरू कर दी गई । अलवर रियासत के तत्कालीन महाराजा राज ऋषि सवाई जयसिंह ने अपने समय में कहां ,अंधेरे के साम्राज्य को समाप्त करने ,रोशनी से प्रत्येक स्थान को जगमग करने, का त्यौहार। जिसमे भगवान विष्णु, लक्ष्मी की श्रद्धा से पूजा की जाती है जिससे वह अपने परिवार सहित घर पर आते हैं। इसी कामना से इस त्यौहार को सनातन धर्म के सभी अनुयाई मनाते हैं। धनतेरस के अवसर पर अलवर राजघराने सहित ताजीमी सरदार, एवं जागीरदार भी परंपरागत तरीके से पांच दिवसीय त्यौहार को मनाते हुए आज भी उस परंपरा को निभा रहे हैं।
जमालपुर ठिकाने के ठाकुर शिवराम सिंह, के यहां पर रियासत काल के समय के रिकॉर्ड के मुताबिक, कार्तिक बदी अमावस्या का कैलेंडर राजघराने से जारी होता था। जो अक्टूबर नवंबर तक के त्यौहार मनाया जाता था। दीपोत्सव के इस पर्व को ''फिस्ट आफ लैंनटर्नस'' के रूप में मनाते है। जहां रियासत के समस्त महल, बावड़ी, किले, बाजारों को गैस और लालटेन की रोशनी से जगमग करते थे। दीपावली के दिन महाराजा 'तोष खाने' (कोषागार) में जाकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना आचार्य, कुलगुरु, राजगुरु ,की मौजूदगी में करते थे। उसके पश्चात दरबार हाल सिटी पैलेस में मीटिंग का आयोजन कर दीपावली की बधाई सभी को देखकर मिठाई व सौगात का वितरण किया जाता था। तथा उसके दूसरे दिन रियासत कालीन समस्त खाता बहियों की पूजा अर्चना के दौरान कुबेर और प्रथम पूज्य श्री गणेश की आराधना करते थे। इस समस्त परंपरा की जानकारी हासिल करने तथा पुराने रिकॉर्ड को देखने आज भी जमालपुर ठिकाने में मथुरा, वृंदावन, तथा इस्कॉन मंदिर के सेवक देखने आते हैं। धनतेरस पर 1879 सन से लेकर 2024 तक की करेंसी को पूजा के लिए तैयार किया गया। वही काले, सफेद ,लाल मूंगे, कोड़ी, गोमती चक्र, हल्दी, सुपारी, आदि से पुरानी करेंसी का पूजन अर्चन कर मां सरस्वती और कुबेर की प्रार्थना दीपावली के दिन की जाएगी। वही ठिकाना बुर्जा में भी ठाकुर उपेंद्र सिंह की ओर से परंपरागत तरीके से पुरानी तिजोरी की धनतेरस से दीपावली तक मां लक्ष्मी कुबेर विष्णु की पूजा अर्चना की जाएगी।