सद्गुरु के पावन सानिध्य में आयोजित निरंकारी सामूहिक विवाह
एक दूसरे का आदर सत्कार करते हुए कर्तव्य का पालन करें सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
खैरथल (हीरालाल भूरानी )निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं आदरणीय निरंकारी राज पिताजी के पावन सानिध्य में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में महाराष्ट्र के अतिरिक्त देश के कई राज्यों एवं दूर देश से आए 93 युगल परिणय सूत्र में बंधे महाराष्ट्र के 58वे वार्षिक निरंकारी संत समागम के विधिवत्त समापन के उपरांत इस समारोह का आयोजन किया गया
नव विवाहित वर वधु को सद्गुरु माता जी ने एक दूसरे का आदर सत्कार करते हुए कर्तव्य का निर्वाह करते हुए परस्पर प्रेम एवं भक्ति भाव से युक्त होकर जीवन जीने का आशीर्वाद प्रदान किया तथा निरंकारी पद्धति द्वारा शादी विवाह को अपनाने के लिए उनके परिवारों का अभिनंदन करते हुए उन्हें शुभकामनाएं दी इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में पारंपरिक जयमाला के साथ निरंकारी विवाह का विशेष चिन्ह सांझा हार भी प्रत्येक जोड़े को मिशन के प्रतिनिधियों द्वारा पहनाया गया
समारोह के दौरान सतगुरु माताजी एवं आदरणीय निरंकारी राजापिता रमित जी ने वर वधू पर पुष्प वर्षा कर अपना दिव्य आशीर्वाद प्रदान किया। कार्यक्रम में उपस्थित वर वधु के संबंध परिजनों एवं साथ संगत में भी पुष्प वर्षा की सामूहिक विवाह के उपरांत सभी के लिए भोजन की समुचित व्यवस्था समागम स्थल पर की गई
सदा शादियों के अंतर्गत काफी संख्या में स्नातक , स्नाकोत्तर एवं उच्च शिक्षित नौजवानों के रूप में वर वधुओं का समावेश दिखा कुछ परिवार ऐसे भी थे जो अपने बच्चों की शादी बड़े धूमधाम से कर सकते थे लेकिन सद्गुरु की पावन छत्र छाया में उनकी दिव्य शिक्षाओं को अपनाते हुए निरंकारी पद्धति के अनुसार सादे रूप में शादी करके समाज के सामने उन्होंने एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया यह आलोकिक दृश्य जाति वर्ण की विषमता को मतकर एक तत्व का सुंदर संदेश प्रस्तुत कर रहा था जो निरंकारी मिशन का संदेश भी है