आधुनिक भारत के निर्माता स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती पर विशेष रिपोर्ट- शर्मा

लक्ष्मणगढ़ (कमलेश जैन) समाज-सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म मोरबी (मुम्बई की मोरवी रियासत) के पास काठियावाड़ क्षेत्र जिला राजकोट, गुजरात में 18 फरवरी सन् 1824 में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ। मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण उनका नाम मूलशंकर रखा गया था। उन्होंने वेदों के प्रकांड विद्वान स्वामी विरजानंद जी से शिक्षा ग्रहण की थी।
धर्म सुधार हेतु अग्रणी रहे दयानंद सरस्वती ने 1875 में मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की थी और पाखण्ड खण्डिनी पताका फहराकर कई उल्लेखनीय कार्य किए। यही दयानंद आगे चलकर महर्षि दयानंद बने और वैदिक धर्म की स्थापना हेतु 'आर्य समाज' के संस्थापन के रूप में विश्वविख्यात हुए। आर्य समाज की स्थापना के साथ ही भारत में डूब चुकी वैदिक परंपराओं को पुनर्स्थापित करके विश्व में हिन्दू धर्म की पहचान करवाई। उन्होंने हिन्दी में ग्रंथ रचना आरंभ की तथा पहले के संस्कृत में लिखित ग्रंथों का हिन्दी में अनुवाद भी किया। महर्षि दयानंद सरस्वती का भारतीय स्वतंत्रता अभियान में भी बहुत बड़ा योगदान था।
वेदों का प्रचार करने के लिए उन्होंने पूरे देश का दौरा करके पंडित और विद्वानों को वेदों की महत्ता के बारे में समझाया। संस्कृत भाषा में उन्हें अगाध ज्ञान होने के कारण स्वामीजी संस्कृत को एक धारावाहिक रूप में बोलते थे। उन्होंने ईसाई और मुस्लिम धर्मग्रंथों पर काफी मंथन करने के बाद अकेले ही तीन मोर्चों पर अपना संघर्ष आरंभ किया जिसमें उन्हें अपमान, कलंक और कई कष्टों को झेलना पड़ा। दयानंद के ज्ञान का कोई जवाब नहीं था। वे जो कुछ कह रहे थे, उसका उत्तर किसी भी धर्मगुरुओं के पास नहीं था।
भारत, भारतीयों का है' यह उनके प्रमुख उद्गार है। स्वामी जी के नेतृत्व में ही 1857 के स्वतंत्रता संग्राम क्रांति की सम्पूर्ण योजना तैयार की गई थी और वही उसके प्रमुख सूत्रधार थे। भारत, भारतीयों का है' यह अंग्रेजों के अत्याचारी शासन से तंग आ चुके भारत में कहने का साहस भी सिर्फ दयानंद में ही था। उन्होंने अपने प्रवचनों के माध्यम से भारतवासियों को राष्ट्रीयता का उपदेश दिया और भारतीयों को देश पर मर मिटने के लिए प्रेरित करते रहे।
दयानंद के उल्लेखनीय कार्य
- आर्य समाज के संस्थापक तथा समाज-सुधारक।
- स्वामी जी ने धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों को पुन: हिंदू बनने की प्रेरणा देकर शुद्धि आंदोलन चलाया।
- स्वामी दयानंद ने हिंदी भाषा में सत्यार्थ प्रकाश पुस्तक तथा अनेक वेदभाष्यों की रचना की।
- सन् 1886 में लाहौर में स्वामी दयानंद के अनुयायी लाला हंसराज ने दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज की स्थापना की थी।
- सन् 1901 में स्वामी श्रद्धानंद ने कांगड़ी में गुरुकुल विद्यालय की स्थापना की।
- स्वामी दयानंद के लिए प्रमुख लोगों के कुछ उद्गार
- लोकमान्य तिलक- स्वराज्य के प्रथम संदेशवाहक स्वामी दयानंद।
- सुभाषचंद्र बोस - आधुनिक भारत के निर्माता दयानंद।
- डॉ. भगवानदास- स्वामी दयानन्द हिन्दू पुनर्जागरण के मुख्य निर्माता।
- सरदार पटेल- भारत की स्वतंत्रता की नींव स्वामी दयानन्द ने डाली।
लेखन - शिक्षाविद डॉक्टर पंडित हरिप्रसाद शर्मा






