भगवान के जन्मदिन पर मनाई खुशियां, बांटे बूंदी के लड्डू, रजत मुद्राएं आज हुए 18 अभिषेक
अंता (शफीक मंसूरी)
बारां गुणवर्धन शंखेश्वर पाश्र्वनाथ जैन श्वेतांबर तीर्थ ट्रस्ट संचालित श्री जयत्रिभुवन विमलविहार तीर्थ धाम में आयोजित प्राण प्रतिष्ठा महामहोत्सव के पंचम दिवस पर सुप्रभातम समय में समस्त वाद्य यंत्रों की अलग-अलग धुन द्वारा मधुरमय संगीत से प्रभु भक्ति अदभुत वातावरण मेंलीन करके सभी मग्न मोहित करते हुए की गई।
प्राण प्रतिष्ठा महा महोत्सव के महा संयोजक श्री प्रकाशचन्द्र के संघवी सिरोड़ी वाला एवम् ट्रस्ट मण्डल के पदस्थों ने बताया कि आयोजन प्रेरक प्रमोद जैन भाया, केबिनेट मंत्री महोदय राजस्थान सरकार व तीर्थ अध्यक्ष श्रीमती उर्मिलाजी जैन भाया जिला प्रमुख बारां ने परम पूज्य निश्रा दाता पूज्य प्रतिष्ठाचार्य श्री राजशेखरसूरीश्वरजी, श्री वीररत्नसूरीश्वरजी, श्री रत्नाकरसूरीश्वरजी, श्री विश्वरत्नसागरजी, श्री पद्मभूषणसूरीश्वरजी, श्री निपुणरत्नसूरीश्वरजी महाराजा के पवित्र सानिध्य में धर्माचार्य संजयभाई पाइप वाला व कल्पेशभाई पंडित सिरोड़ीवाला के विशिष्ठ विधिविधान के मंत्रोच्चार से संगीत सम्राट ‘‘निराला’’ संगीताचार्य, नरेंद्रभाई वाणीगोताजी मुंबई के द्वारा हाड़ौती गौरव, देवलोक समा, कल्पवृक्ष संगमरमर श्वेत पाषाण में नवनिर्मित जिनालय में शास्त्रानुसार प्रभु जन्म कल्याणक की मूल विधी जिनालय में की गई उसमे परमात्मा के माता-पिता राजराजेश्वर श्री अश्वसेन महाराजा एवम् वामादेवी महारानी, देवलोक के अधिपति सौधर्मइंद्र देव व पटरानी इन्द्रानी ने परमात्मा पार्श्वकुमार का जन्म होते ही विधिवत हर्षोल्लास के साथ जन्मोत्सव की विधि उमंग पूर्वक सुसंपन की गई।
तत्पश्चात् पूज्या साध्वीजी श्री का 68 वि वर्धमानतप की आयंबिल ओलीजी का पारना चतुरविद्धि संघ की उपस्तिथि में भाया परिवार ने गोचरी वोहराकर कराया। श्री वानारसी नगर के राजदरबार में साजन माजन के साथ प्रवेश किया गया। राजदरबार में इंद्र महाराजा की सभा भरी गईं। महारानी वामादेवी के कुख से राजकुँवर श्री पार्श्वकुमार का जन्म हुआ तुरंत ही इंद्र सिहासन डोलने लगा। छप्पनदिग्ग कुमारीकाओ के द्वारा अलग अलग दर्शन कराये गये। श्री इन्द्रमहाराजा व चैसठ इंद्र इंद्राणीओ द्वारा मेरुपर्वत पर परमात्मा के 250 महा अभिषेक किए गए।
श्रीमती उर्मिला भाया ने बताया कि महारानी साहिबा के कुक्षी से तीर्थंकर का जन्म होते ही इंद्र महाराजा द्वारा हिरण गमेशी देव द्वारा नगर ढिंढोरा पिटवाया गया, यह संदेश सुनकर पूरे राज दरबार व वानारसी नगरी में अपार खुषी की बहार छा गई। पूरे राज दरबार व वारानसी नगरी में बूंदी के लड्डू व रजत मुद्रा बाट कर खुषी व्यक्त की। दोपहर 3.00 बजे देवविमान तुल्य जिन प्रसाद में भगवान, गणधर भगवान,देव, देवी, मंगलमूर्तियो व पंच धातु प्रतिमाओं, ध्वज दंड कलश, घंटनाद के अठारह अभिषेक किए गये। तीनों समय का श्री संघ स्वामिवतशालय रसवन्ती भोजन एवं अनेको आगंतुक आमजनो का प्रतिभोज रखा गया, सात्विक एवम् जयना पूर्वक स्वादिष्ट भोजन की खुले मुँह से वानगियो की सराहना की। रात्रि में वानारसी नगरी में प्रभु भक्ति का भव्य अलग अलग कलाकारों द्वारा संगीत के माध्यम से करवाई गई। भारत भर से पधारे धर्मप्रेमीयो ने तीर्थ परिसर की व विशिष्ठ आयोजन वानारसी नगरी की एवम् नव निर्मित जिनालय की भूरि भूरि अनुमोदना की।