शाहपुरा में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह में प्रेस क्लब सभागार में अनुशासन दिवस मनाया

Oct 2, 2021 - 02:46
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शाहपुरा में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह में प्रेस क्लब सभागार में अनुशासन दिवस मनाया

शाहपुरा- मूलचन्द पेसवानी


शाहपुरा में अणुव्रत उद्बोधन सप्ताह के अंर्तगत शुक्रवार को उम्मदेसागर रोड़ स्थित प्रेस क्लब सभागार में अनुशासन दिवस संगोष्ठि का आयोजन किया गया। प्रेस क्लब अणुव्रत समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठि की अध्यक्षता प्रेस क्लब अध्यक्ष चान्दमल मूंदड़ा ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में अणुव्रत समिति के अध्यक्ष तेजपाल उपाध्याय रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में अणुव्रत समिति के पूर्व अध्यक्ष रामस्वरूप काबरा व संचिना कला संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक मौजूद रहे।
प्रेस क्लब महासचिव मूलचन्द पेसवानी ने सभी का स्वागत करते हुए अनुशासन दिवस पर विचार रखते हुए कहा कि व्यक्तित्व को निखारने और संवारने के लिए जरुरी है अनुशासित जीवन शैली। जीवन कि सफलता का राज है अनुशासन जीवन का आधार स्तंभ है अनुशासन। अनुशासन का अर्थ स्वयं पर शासन।
संगोष्ठि में प्रेस क्लब की ओर से रामप्रकाश काबरा, भेरूलाल लक्षकार, सुर्यप्रकाश आर्य व गणेश सुगंधी, अखिल व्यास, कैलाश शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि अणुव्रत आंदोलन को शाहपुरा में जनज न का आंदोलन बनाने के लिए मीडिया सकारात्मक सहयोग करेगा। प्रेस क्लब अध्यक्ष चांदमल मूंदड़ा ने सभी का आभार ज्ञापित किया।
अणुव्रत समिति के सचिव गोपाल पंचोली ने अणुव्रत आंदोलन पर विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि आचार्य तुलसी का अमर उद्दघोष था- निज पर शासन,फिर अनुशासन। आज के युग कि बहुत बड़ी समस्या है टूटते परिवार,बिखरता समाज। इसके पीछे एक ही कारण है व्यक्ति दुसरो को बदलना चाहता है स्वयं नहीं बदलता। दूसरों को दिशा निर्देश देना व्यक्ति की आदत बन चुकी पर स्वयं दिशा हीन बन रहा। इस विषम स्थिति में व्यक्ति व्यक्ति के बीच दूरियां बढ़ रही है विश्वास उठता जा रहा है। जरुरी है व्यक्ति स्वयं पर अनुशासन करना सीखे,स्वयं के आचरण को सुधारे।
कार्यक्रम के मुख्य अर्तििथ तेजपाल उपाध्याय ने कहा कि अनुशासन(अनु$शासन) अर्थात(आज्ञा,आदेश) के अनुसार आचरण करना। बड़ों की आज्ञा मानना, नियमों, अधिकारियों के आदेश का पालन करना अनुशासन कहलाता है। सच्चा अनुशासन वही होता है जब विद्यार्थी अपनी इच्छा से आदेशानुसार कार्यों को करता है। अनुशासन केवल विद्यालय तक ही सीमित नहीं है अभी तो इसकी आवश्यकता सभी स्थानों पर रहती है। अनुशासन दो प्रकार का होता है- आत्मिक और ब्राह्य. आत्मिक में मानव अपनी प्रेरणा से अनुशासनबद्ध होता है, जबकि दूसरे में इसका कारण भय, दंड, आदर्श आदि होते हैं. इनमें आदमी का अनुशासन ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
उपाध्याय ने कहा कि आज मीडिया से देश व समाज को काफी अधिक अपेक्षाएं है। इसलिए मीडिया को अणुव्रत आंदोलन को प्रचारित व प्रसारित करने में सहयोग करना होगा तभी राष्ट्र नेतिक मूल्यों की रक्षा कर पायेगा।
अणुव्रत समिति के पूर्व अध्यक्ष रामस्वरूप काबरा ने कहा कि अनुशासन का जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। अनुशासन से जीवन में सभी कार्य समय पर तथा उचित प्रकार से हो जाते हैं। अनुशासन से जीवन में नियमितता आती है तथा जीवन व्यवस्थित हो जाता है। मीडिया को रोल मॉडल बनकर आगे आना चाहिए।
संचिना कला संस्थान के अध्यक्ष रामप्रसाद पारीक ने कहा कि अनुशासन के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में लाभ है। इसके द्वारा व्यक्ति का का सर्वप्रथम मानसिक और बौद्धिक विकास होता है एक एक बार जब किसी व्यक्ति में से अनुशासन की आदत आ जाती है तो उसके मोदित विपरीत है मार्ग की और नहीं जाता है। जो व्यक्ति अपने लिए कुछ आदर्शों का निर्माण तथा उन पर चलने के लिए प्रयत्नशील रहता है। वह ज्ञान प्राप्ति के लिए उत्सुक रहता है व्यक्ति के चरित्र का निर्माण भी अनुशासन पर आधारित है व्यक्ति में अनुशासन का जब तक सही अर्थों में उदय नहीं होता है तब तक वह व्यक्ति असभ्य ही रहता है और उसका समुचित विकास भी नहीं होता है जिस में अनुशासन होता है वह स्वयं को सदा ऊंचा उठाने में लगा रहता है। जिस काम को करता है उसे संपूर्णता से अनुशासन होकर पूरा करता है अनुशासन से व्यक्ति में प्रवेश परीक्षा सद्भावना का विकास होता है वह समाज के नियमों का पालन करने के लिए तैयार रहता है ऐसे व्यक्ति ही देश का सच्चा नागरिक होता है।

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