तेरी हिरणी हार गई माँ, इज्जत मेरी तार तार गई

हाथरस की दुखांत घटना पर कवि ललित शर्मा द्वारा रचित कविता

Oct 2, 2020 - 23:47
 0
तेरी हिरणी हार गई माँ, इज्जत मेरी तार तार गई

भारत मां आज तेरी लाड़ली, शक्ल दीखावन जोगी ना ।
आज मिली मन्ने इसी सजा, आज तलक मैं भोगी ना ।।
इतनी जम के नोची मन्ने, इज्जत मेरी तार तार गई।
जंगली कुत्तों के साहमी, तेरी हिरनी हार गई।।

सारी रोक टोक म्हारे पे, पागल कुत्ता ने रोको रे ।
घनी आग ये घालेे तो, छाती में गोली ठोको रे ।।
इनका कुछ भी बिगड़े कोन्या, म्हारी इज्जत हर बार गई।
जंगली कुत्तों के साहमी, तेरी हिरनी हार गई।।

झूठ बोल के मैने बुलाई, मौका पा के रोकी सै।
सारे हो लिए एक साथ, जी भर के मैने नोची सै ।।
घनी करी रे में तो कोशिश, सारी र बेकार गई।
जंगली कुत्तों के साहमी, तेरी हिरनी हार गई।।

हाथ मेरे यो बांध दिए, मुंह में कपड़ा घाल्या था।
रीढ़ की हड्डी तोड़ी, जीभ पे चाकू चाल्या था।।
एक एक करके आवे थे, जीती मरती हर बार रही।
जंगली कुत्तों के साहमी, तेरी हिरनी हार गई।।

जल्दी से अब न्याय करो, मेरी आत्मा तड़पे ना।
भान बेटी सै फूल बराबर, उसने कोई हड़के ना ।।
शर्मा ललित से छोरी आला, रोते कलम उतार दई।
जंगली कुत्तों के साहमी, तेरी हिरनी हार गई।।


कवि ललित शर्मा

  • मयंक शर्मा की रिपोर्ट 

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

एक्सप्रेस न्यूज़ डेस्क बुलंद आवाज के साथ निष्पक्ष व निर्भीक खबरे... आपको न्याय दिलाने के लिए आपकी आवाज बनेगी कलम की धार... आप भी अपने आस-पास घटित कोई भी सामाजिक घटना, राजनीतिक खबर हमे हमारी ई मेल आईडी GEXPRESSNEWS54@GMAIL.COM या वाट्सएप न 8094612000 पर भेज सकते है हम हर सम्भव प्रयास करेंगे आपकी खबर हमारे न्यूज पोर्टल पर साझा करें। हमारे चैनल GEXPRESSNEWS से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद................