सांसारिक मोह त्यागने पर होती सुख की अनुभूति, वसुनंदी महाराज

लक्ष्मणगढ़ (अलवर/ कमलेश जैन )आचार्य वसुनंदी गुरुदेव मुनिराज ससंघ का मंगलवार को कस्बे में प्रातःभव्य मंगल प्रवेश जालूकी रोड मंडी गेट के सामने हुआ। आचार्यश्री ससंघ का यहां बड़ी तादाद में मौजूद श्रद्धालुओं ने महाराज श्री का पाद प्रच्छालन, आरती व श्रीफल भेंट कर स्वागत किया।
वहां से चलकर भगत सिंह सर्किल मालाखेड़ा रोड होते हुए श्री राम आदर्श विद्यापीठ विद्यालय पहुंचे तत्पश्चात आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में दर्शन करआहारचर्या के लिए पहुंचे। यहां श्रद्धालुओं को आशीष दिया। कहा कि मनुष्य संत के चरण को नहीं बल्कि संत के आचरण को अपने अंतरंग में प्रवेश कराकर आत्मा का कल्याण कर सकते हैं।
प्रत्येक व्यक्ति दुख से भयभीत है, सुख की खोज में है। लेकिन इसके लिए त्याग करने को तैयार नहीं है। सांसारिक मोह त्यागने पर ही सुख की अनुभूति संभव है। अधर्म के मार्ग पर चलने से दुख मिलता है।
आचार्य ने कहा कि संसार में यदि आत्मा को कोई सुख व शांति देने वाला है तो वह धर्म है। धर्म के माध्यम से ही श्रावक साधु व भगवान बनते हैं, धर्म शाश्वत है। धर्म को भूलकर संसारिक प्राणी को दुख भोगना पड़ता है। सुंदर शरीर आत्मा का हित नहीं कर सकता। धर्म का सेवन बुद्धिमान व्यक्ति ही कर पाते हैं। अन्य व्यक्ति दीर्घकाल तक संसार में परिभ्रमण करते रहते हैं। धर्म का सार दया है, जिसके मन में दया होती है वह सबके लिए सम्मानीय बन जाता है।
वसुनंदी महाराज ने कहा कि सच्चे देव शास्त्र गुरु व जिन धर्म के प्रति शंका नहीं करना ही निशंकित अंग कहलाता है। शाम 4:00 बजे कस्बे से बिहार हरसाना मार्ग होते हुए उछर में रात्रि विश्राम करेंगे। बिहार के दौरान जैन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।






