पिता के विश्वास और संस्कारों के आलोक से ही आलोकित होता है जीवन -बीके सुनीता

उदयपुरवाटी (सुमेर सिंह राव ) कस्बे के घूम चक्कर स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के स्थानीय केंद्र में अंतरराष्ट्रीय पितृ दिवस के उपलक्ष में सर्वोदय कार्यकर्ता भाई बद्री प्रसाद तंवर के मुख्य आतिथ्य में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए सर्वोदय कार्यकर्ता बद्री प्रसाद तंवर ने कहा कि पिता वह वट वृक्ष है जिसकी छाया में जीवन निर्माण के प्रथम पायदान से लेकर जीवन की समग्र पूर्णता हासिल होती है तथा हर पल पिता की छाया में व्यक्ति अपनी मनवांछित मंजिल हासिल करता है। पिता ब्रह्मा बनकर प्रतिपल जीवन विकास के साक्षी है। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रही सुनीता बहन ने विस्तार से लौकिक एवं अलौकिक पिता की परिभाषा को परिभाषित करते हुए कहा कि पिता ही व्यक्ति का वजूद है। पिता है तो प्रत्येक दिन जीवन उत्सव है तथा पिता ही जीवन के शुभ प्रभात की प्रथम मंगल बेला, प्रथम किरण एवं आभा है। संपूर्ण ब्रह्मांड का संचालन भी परमपिता परमात्मा द्वारा संपादित एवं निष्पादित होता है वहीं सभी के उद्धार कर्ता हैं।इस गोष्ठी में वीरेंद्र कुमार सैनी एवं आशा देवी सैनी ने भी वर्तमान समय में पिता की विशेष भूमिका पर विस्तार से अपनी बात कही।ओम शांति अभिवादन से शुरू हुई गोष्ठी का समापन भी ओम शांति मंत्र के साथ ही हुआ। इस अवसर पर इस गोष्ठी में जयश्री तंवर, तोलाराम शर्मा, अविनाश कुमार तंवर,कुमारी गायत्री सैनी,आशा सैनी,वीरेंद्र कुमार सैनी, सुशीला देवी, हर्षिता मीणा, सुरेश कुमार अग्रवाल, मोहनलाल सैनी, तारा जांगिड़ उपस्थित थे।






