किसानों को चंबल का पानी नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी: रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र का है मामला

Jan 31, 2023 - 23:06
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किसानों को चंबल का पानी नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी: रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र का है मामला

रामगढ़ (अलवर, राजस्थान/ राधेश्याम गेरा) केंद्र और राज्य सरकार द्वारा ईआरसीपी योजना को लागू कर चंबल नदी का पानी रुपारेल नदी और घाट कैनाल सहित जिले के सभी बांध और नालों में छोड़ने की मांग को लेकर गोविंदगढ़ पंचायत समिति में तिलवाड़ा गांव में विशाल जनसभा का आयोजन हुआ जिसमें सैकड़ों किसानों ने भाग लिया। इसके लिए पिछले कई वर्षों से चढूनी किसान यूनियन द्वारा प्रयास करते हुए किसानों को एक मंच पर एकत्र किया जा रहा है।  चढूनी किसान यूनियन द्वारा गांव गांव में किसान यूनियन बना आगामी 24 फ़रवरी को रामगढ उपखण्ड पर महा आंदोलन करने की तैयारी को लेकर आज मंगलवार को पंचायत समिति गोविंदगढ़ अंतर्गत तिलवाड़ गांव में एक बड़ी बैठक आयोजित की गई। जिसमें तिलवाड़ और आसपास के गांवों के जागरूक किसान इक्कठा हुए।

विशाल बैठक को संबोधित करते हुए चढूनी किसान यूनियन के प्रवक्ता विरेन्दर मोर,अलावडा के पूर्व सरपंच कमल चंद,किसान सम्राट से सम्मानित तिलवाड़ गांव के डाक्टर सोहनलाल ने संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान में भाजपा की सरकार के समय वर्ष 2017 में  इआरसीपी योजना लागू करने की घोषणा की थी। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में राजस्थान दौरे के दौरान इस योजना को शीघ्र लागू करने की घोषणा की थी जिसके अंतर्गत राजस्थान के 13 जिलों को लाभ मिलना था। लेकिन उसके बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार आ जाने और केंद्र में भाजपा की सरकार बन जाने के कारण केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को राजस्थान में आज तक लागू नहीं किया गया । इस योजना के अंतर्गत 90% राशि केंद्र सरकार वहन करती और 10% राशि राज्य सरकार वहन करना था केंद्र और राज्य सरकार की लड़ाई में राजस्थान के 13 जिलों के किसान सिंचाई के लिए पानी से वंचित है ।

अलवर जिले का भूमिगत जलस्तर प्रतिवर्ष नीचे जा रहा है। सरकार द्वारा जो डीपीआर बनाई और है उसके अनुसार ईआरसीपी योजना में अलवर जिले के केवल जयसमंद बांध और औद्योगिक इकाइयों को शामिल किया गया है। जिससे अलवर के किसानों को भूमिगत सिंचाई के भरोसे छोडा जा रहा है। और 1 दिन ऐसा आएगा कि भूमि में ही जल समाप्त हो जाएगा तब क्षेत्र के लोगों को ना सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और ना ही पीने के लिए पानी मिलेगा। किसानों की मांग है कि ईआरसीपी योजना को लागू कर चंबल नदी का पानी अलवर जिले के किसानों को उपलब्ध कराया जाए और चम्बल के पानी को जय सबंध बांध के साथ साथ रूपारेल नदी और घाट कैनाल सहित जिले के सभी बांधो और नालों में छोड़ा जाए । जिससे कि क्षेत्र के हजारों किसानों को लाभ मिले। इसके लिए आगामी 24 फरवरी को रामगढ में बड़ा आंदोलन करने की रुपरेखा बनाई गई।

पूर्व सरपंच कमल चंद ने कहा कि यदि चम्बल का पानी हम किसानों को मिलेगा तो हरियाणा और पंजाब की तरह राजस्थान का किसान भी समृद्ध होगा । हमारी किसी राजनीतिक पार्टी से कोई लड़ाई नहीं है हमारी तो यही मांग है कि सरकार ईआरसीपी योजना को लागू करे जिससे क्षेत्र के किसानों को लाभ मिले और जल स्तर पहले की तरह ऊपर आ जाए । इसी के साथ बैठक में आए सभी किसानों ने एक आवाज से नारा लगाया किसानों के लिए पानी नहीं तो वोट नहीं। बैठक में मास्टर गुरुबचन सिंह,जसमेर सिंह, सोहनलाल,बरवाडा के दीपसिंह ,समाजसेवी ताहिर भाई, अलावड़ा सरपंच जुम्मा खान,हस्सा खान, जुहू, अलमूद्दीन, तिलवाड से राजकुमार,मदन लाल,मुंशी,अशोक कुमार, संजय कुमार,दोलाराम,हंसराज,जयराम,गफूर खान,नारायण जाटव, दरबार, सहित अनेक किसान मौजूद रहे।

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