ब्रज की संस्कृति, पर्वतों व पर्यावरण के संरक्षण के लिए में सदैव तत्पर--- वाजिब अली

सरकार आदि बद्री और कंकाचल का करें तत्काल संरक्षण अन्यथा मिट जाएगी हमारी धार्मिक व अध्यात्मिक पहचान- मलुकपीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज

Sep 30, 2021 - 01:27
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ब्रज की संस्कृति, पर्वतों व पर्यावरण के संरक्षण के लिए में  सदैव तत्पर---  वाजिब अली

डीग / भरतपुर / पदम जैन 

ड़ीग -29 सितंबर आदिबद्री व कनकाचल पर्वत पर हो रहे विनाशकारी खनन के खिलाफ ड़ीग उप खंड के गांव पसोपा में जारी धरना 257 में दिन बुधवार को भी जारी रहा। तथा 9 अगस्त से शुरू हुए क्रमिक अनशन के 50 वे दिन बुधवार को हनुमान बाबा, निवृत्ति दास बाबा, विजय बाबा ,ब्रजकिशोर और राधेश्याम क्रमिक अनशन पर वैठे ।
 धरना स्थल पर बुधवार को आंदोलन के आगे की रणनीति को लेकर सभी मुख्य आंदोलनकारियों की महत्वपूर्ण बैठक महंत शिवराम दास की अध्यक्षता में आहूत की गई।
 संरक्षण समिति के संरक्षक राधाकांत शास्त्री ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने  आंदोलनकारियों को  आश्वासन दिया है कि सरकार ब्रज के दोनों पर्वतों की सुरक्षा को लेकर अत्यंत गंभीर है एवं अति शीघ्र ही एक निर्णायक बैठक कर इस संबंध में ठोस कदम उठाए जाएंगे । उन्होंने वताया कि नगर के विधायक वाजिब अली से आज बुधवार को इस संबंध में हुई  चर्चा के   दौरान उन्होंने  ब्रज के पर्वतो,  संस्कृति व यहां के पर्यावरण की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करने की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है। एवं उन्होंने यह भी बताया है कि वह इस मुद्दे को लेकर  निरंतर मुख्यमंत्री व  अधिकारियों से संपर्क में है। ताकि साधु संतों की मांग को स्वीकृत कर दोनों पर्वतों का संरक्षण सुनिश्चित किया जाए । शास्त्री ने  कहा कि अगर सरकार द्वारा दोनों पर्वतों के संरक्षण में  विलंब किया जाता है तो साधु संतों के पास विशाल आमरण अनशन आंदोलन करने का विकल्प खुला  हुआ है ।
ब्रज के प्रसिद्ध संत  मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्रदास महाराज ने ऋषिकेश में आयोजित संतो की सभा में बराक के पर्वतों पर हो रहे खनन का मुद्दा उठाया एवं समस्त देशवासियों से अपील की है कि वह ब्रज के पर्वतों पर हो रहे खनन को तत्काल रोकने के लिए राजस्थान सरकार से अपील करें । उन्होंने कहा कि ब्रज की संस्कृति व यहां की पौराणिक संपदा, ही हमारी भारतीयता का अस्तित्व है। जिसे  किसी भी स्थिति में नष्ट नहीं होने दिया जा सकता है। अगर ऐसा होता है तो हमारी पहचान ही मिट जाएगी।

 पसोपा में हुई बैठक में  प्रमुख रूप से  भूरा बाबा, हरि बोल बाबा, ब्रजकिशोर बाबा, कृष्ण चैतन्य बाबा, हनुमान बाबा, गौरांग बाबा आदि वक्ताओं ने अपने विचार रखे। 

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