लौटने लगी बंधबारैठा बांध की रौनक, 15 फुट पर पहुंचा जलस्तर

Aug 8, 2020 - 03:46
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लौटने लगी बंधबारैठा बांध की रौनक, 15 फुट पर पहुंचा जलस्तर

बयाना भरतपुर

बयाना 07 अगस्त।  इस बार ठीक ठाक बरसात होने सेअब यहाँ के सबसे बडे बांध के रूप में पहचाने जाने वाले बंधबारैठा बांध की रौनक भी लौटने लगी है। बांध का जलस्तर करीब एक माह में 8 फुट से बढकर 15 फुट पर पहुंच गया है। बांध की कुल भराव क्षमता 29 फुट है। यहां के डांग क्षेत्र के बीहडों के बीच बने इस बांध के  कैचमेंट एरिया मेें चारों ओर हरियाली छाने से अब प्राकृतिक रंगत भी निखरने लगी है।  प्राकृतिक वातावरण  मनोरम बनते जाने के साथ ही यहां अब सैलानी भी प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाने आने लगे है। किन्तु इस बांध क्षेत्र में सैलानीयों की आवश्यक सुविधाऐं व ठहराव और सुरक्षा के प्रबंध नही होने तथा बांध की पाल कई वर्षों से मरम्मत नही होने के कारण जर्जर अवस्था में होने से यहां आने वाले सैलानियों को निराश भी होना पडता है। बांध जलसंसाधन विभाग के अधीन है। जिसके पानी की सिंचाई के कर के रूप में किसानों से प्रतिवर्ष विभाग को लाखों रूप्ए के राजस्व की आय होती है। वहीं इस बांध में प्रतिवर्ष करोडों रूप्ए का मत्स्य उत्पादन होने से  मत्स्य विभाग को भी ठेके के रूप में काफी मोटी आय की  आमदनी होती है। किन्तु दोनों ही विभागों ने मोटी कमाई के अलावा कभी भी इस बांध की मरम्मत व रखरखाव और इस बांध के विकास या वहां आने वाले सैलानियों की सुरक्षा व आवश्यक सुविधाऐं विकसित करने की कभी सुध नही ली । इस बांध का निर्माण करीब 130 वर्ष पूर्व भरतपुर रियासत के तत्कालीन महाराजा किशनसिंह ने कराया था। इस बांध के किनारे की एक उंची पहाडी पर तब उन्होंने एक छोटा आलीशान व आधुनिक सुविधाओं युक्त महल भी बनवाया था। जो आज भी वहां सीना ताने खडा है। इस महल को देखने सैलानी भी काफी संख्या में आते है। यहाँ कई फिल्मों व टीवी सीरीयलों की शूटिंग भी हुई है। हालांकि इस महल के कुछ हिस्सों को कुछ लोगों ने अपने निजी स्वार्थों के चलते खुर्द बुर्द भी कर दिया है। कई जंगले खिडकियों को  उखाडकर ले गए है। अगर इस बांध और वहां के प्राकृतिक सौंदर्य व इस प्राचीन महल का योजनाबद्ध तरीके से विकास कर इस स्थान को प्राकृतिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर दिया जाए तो करोडों रूप्ए प्रतिवर्ष के राजस्व की अतिरिक्त आय हो सकती है।  इस बंध क्षेत्र में खनन माफिया भी अवैध खनन कर इस प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्र व जलजीवों एवं वन्य जीवों को नष्ट करने में लगे है। इस बांध से  हजारों किसानों के खेतों की सिंचाई के अलावा भरतपुर संभाग मुख्यालय को भी नियमित पेयजल आपूर्ती की जाती है।कुकुंद नदी के उपर बने इस बांध में पिछले वर्ष  पानी कम आने से यह बांध 29 फुट भराव क्षमता के मुकाबले मात्र 20 फुट जलस्तर तक भरकर रह गया था किन्तु इस बार मानसून के मिजाज अच्छे देखकर इस बांध के लबालब भरने की उम्मीद जताई जा रही है।

संवाददाता राजीव झालानी की रिपोर्ट

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