किसान गर्मी के दिनों में खाली खेतों में करें ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई

भरतपुर, (कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) सरसों और गेंहू भरतपुर कृषि संभाग की मुख्य रबी फसलंे हैं, सरसों कटाई अभी चल रही है तथा गेंहू कटाई भी अप्रेल के प्रथम सप्ताह तक पूर्ण हो जायेगी। ऐसे में संभाग में रबी फसल कटाई के बाद गर्मी के दिनों में अधिकांश खेत खाली रहते हैं। किसान वैज्ञानिक खेती के लिए कृषि महाविद्यालय, कृषि विज्ञान केन्द्र अथवा कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं।
कृषि महाविद्यालय भुसावर के डीन डॉ. उदय भान सिंह ने बताया कि जिन किसानों के पास सिंचाई के पानी की व्यवस्था है, उन्हंे खेत खाली छोडने के बजाय सब्जियॉ अथवा मूंग की खेती करनी चाहिए इससे किसानों को अतिरिक्त आय भी मिलेगी। उन्होंने बताया कि सब्जियों की खेती के बजाय मूंग की खेती करना सरल एवं लाभदायक है। उन्होंने बताया कि ग्रीष्म कालीन मूंग की बुवाई का समय 10 मार्च से 10 अप्रेल तक है। ग्रीष्मकाल में अधिक तापमान व कम आद्रता होने के कारण कीट एवं बीमारियों का प्रकोप कम होता है। उन्होंने बताया कि क्षारीय मृदा इसकी खेती के लिए उपयुक्त नही है। उन्होंने बताया कि मूंग की पूसा बैसाखी 65-70 दिन, मोहिनी, पंत मूंग-1 व जवाहर 45 किस्में 75 दिन में पककर तैयार हो जाती हैं। इन किस्मों से 10 से 12 क्विंटल प्रति हेक्टर पैदावार मिल जाती है इससे 40 से 50 हजार रूपये प्रति हेक्टर शुद्ध आमदनी हो सकती है।






