कृषि विकास में निरन्तरता विषय पर सेमीनार हुई आयोजित
टिकाऊ खेती, मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण के लिए जैविक खेती को बढावा देना आवश्यक

भरतपुर, (कौशलेन्द्र दत्तात्रेय) कृषि महाविद्यालय भुसावर पर बुधवार को कृषि विकास में निरन्तरता विषय पर सेमीनार का आयोजन किया गया।
महाविद्यालय के डीन डॉ. उदय भान सिंह ने कहा कि भारतीय कृषि में यथेष्ट व निरन्तर विकास हुआ है। उन्होंने बतााय कि वर्ष 1951 में खाद्यानों का 50 मिलियन टन उत्पादन से बढकर वर्ष 2024 मेे 316 मिलियन टन हो गया तथा फल-सब्जियों का उत्पादन इसी दौरान 25 मिलियन टन से बढकर 356 मिलियन टन के उच्च स्तर पर पहुॅच गया है। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन, घटती जोत, कृषि के लिए पानी की कम उपलब्धता, पर्यावरण प्रदूषण तथा बढती जनसख्या के कारण कृषि को नई चुनौतियों का सामना करना पड रहा है। उन्होंने कहा कि कृषि विकास की निरंतरता के लिए उन्नत तकनीकों, टिकाऊ प्रथाओं, मजबूत बाजार प्रणालियों को बढावा तथा किसानों को सशक्त बनाना, जिससे वे बदलते मौसम और आर्थिक परिस्थितियों का सामना कर सकें। उन्होंने बताया कि भारत में प्रति किसान एक हेक्टर से भी कम जोत है जो कि कृषि विकास की प्रमुख समस्या है। किसानों को उत्पादक संघ बनाकर इस समस्या का समाधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों को बदलते मौसम से प्रभावित न होने वाली फसलों की किस्मों का विकास व पर्यावरण अनुकूल तकनीकों का विकास करना चाहिए। टिकाऊ खेती, मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण सुधार के लिए जैविक खेती को बढावा देना आवश्यक है। डॉ. शंकर लाल यादव तथा डॉ. मोहित कुमार ने भी विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर कालेज स्टाफ व विद्यार्थी उपस्थित थे।






