भूजल दोहन: अलवर कलक्टर को एनजीटी का नोटिस, 3 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

Sep 22, 2024 - 09:46
 0
भूजल दोहन: अलवर कलक्टर को एनजीटी का नोटिस, 3 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

अलवर ,राजस्थान 
 केन्द्रीय भूजल प्राधिकरण की ओर से राजस्थान के गतिशील भूजल संसाधन पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 219 से अधिक स्थानों पर अत्यधिक जलदोहन हो चुका है। लगभग 20 स्थान अर्ध-संकटमय हैं और 22 स्थान गंभीर स्थिति में हैं। अलवर की बात करें तो यहां 80 फीसदी हिस्से में पानी नहीं है। भूजल स्तर लगातार नीचे जा रहा है। हालांकि इस बारिश में जलस्तर कुछ बढ़ा है। इस रिपोर्ट के बाद इधर, बिना एनओसी के जल दोहन को लेकर एनजीटी ने भी सख्त आदेश जारी किए हैं। केंद्रीय भूजल प्राधिकरण की ओर से पूर्व में कई बार नियमों की पालना के आदेश जारी किए गए। अलवर शहर में इसकी कितनी पालना हो रही है? इसकी पड़ताल के लिए राजस्थान पत्रिका की टीम ने शहर के कई इलाकों का दौरा किया। इस दौरान सामने आया कि शहर में निर्माणाधीन कमर्शियल भवनों के लिए बोरिंग से पानी लिया जा रहा है। ट्यूबवेल के जरिए हर दिन लाखों लीटर पानी खींचकर इसका उपयोग निर्माण कार्य में किया जा रहा है। 
सरकारी व निजी निर्माण के अलावा उद्योगों में बिना प्राधिकरण की एनओसी के ट्यूबवेल व अन्य संसाधनों से भूजल दोहन किया जा रहा है। जस्टिस शिव कुमार सिंह ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण का पक्ष सुनने के बाद कहा कि यह गंभीर स्थिति है। मजिस्ट्रेट अधिकृत अधिकारी हैं, जिन्हें अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में भूजल से संबंधित शिकायत निवारण सहित अवैध कुओं को सील करने, कुएं की बिजली आपूर्ति काटने, अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने आदि की शक्ति दी गई है, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? जस्टिस सिंह ने कहा कि सभी कलक्टर्स (बीकानेर, अलवर, सीकर, उदयपुर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, चूरू, सिरोही, सीकर, श्रीगंगानगर, जालोर, झुंझुनूं, कोटा, जयपुर, पाली, करौली, राजसमंद, सवाईमाधोपुर आदि) को नोटिस जारी किए जाएं। अब अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी। 


एनजीटी के आदेश मिलने के बाद आगे की कार्रवाई करेंगे। सोमवार को डिविजनल कमिश्नर भी बैठक लेंगी। जैसे आदेश ऊपर से मिलेंगे, उनका पालन किया जाएगा। संबंधित एसडीएम को भी आदेश पालना के निर्देश देंगे। - अर्तिका शुक्ला, जिला कलक्टर

यह है नियम :-  भूजल दोहन के लिए प्रदेश सरकार से एनओसी मिलती है। इसके अलावा ट्यूबवेल के लिए केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से एनओसी के लिए आवेदन किया जाता है। वहां से एनओसी मिलने के बाद इसकी प्रति जिला कलक्टर व उपखंड स्तर पर एसडीएम को भेजी जाती है ताकि नियमों की जांच हो सके, लेकिन एनओसी के लिए आवेदन नहीं किए जाते। 

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

एक्सप्रेस न्यूज़ डेस्क बुलंद आवाज के साथ निष्पक्ष व निर्भीक खबरे... आपको न्याय दिलाने के लिए आपकी आवाज बनेगी कलम की धार... आप भी अपने आस-पास घटित कोई भी सामाजिक घटना, राजनीतिक खबर हमे हमारी ई मेल आईडी GEXPRESSNEWS54@GMAIL.COM या वाट्सएप न 8094612000 पर भेज सकते है हम हर सम्भव प्रयास करेंगे आपकी खबर हमारे न्यूज पोर्टल पर साझा करें। हमारे चैनल GEXPRESSNEWS से जुड़े रहने के लिए धन्यवाद................